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लाड़ली बहना, पेसा एक्ट बना गेम चेंजर, शिवराज पहली पसंद, 3 पोल्स में जीत रही भाजपा

खास खबर            Sep 17, 2023


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर पिछले छह महीने से लगातार ओपीनियन पोल आ रहे हैं। कभी भाजपा जीतती दिख रही है तो कभी कांग्रेस मगर इस बार के ओपीनियन पोल में कांटे की टक्कर दिख रही है तो वहीं कुछ ओपिनियन पोल से यह संकेत मिल रहे हैं कि शिवराज सरकार की वापसी होती दिख रही रही है। इतना ही नहीं शिवराज आज भी जनता का पसंदीदा चेहरा बने हुए हैं।

ये बदलाव लाड़ली बहना योजना के लागू होने के बाद दिख रहे हैं। इस योजना के जरिए लोगों के घरों में सीधे पैसे पहुंच रहे हैं। साथ ही पेसा एक्ट भी सरकार के लिए गेमचेंजर साबित हो रही है।

इन योजनाओं के बाद पिछले तीन महीने में चुनावों में भाजपा की तस्वीर बदल चुकी है।

हाल ही में आए एक ओपिनियन पोल की मानें तो बीजेपी को प्रदेश में 140 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, सीएम शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को लोगों ने सबसे अधिक पसंद किया है। दूसरे नंबर पर कमलनाथ का चेहरा है।

भाजपा पक्ष में तथ्य मजबूती से जाता है 18 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान लोगों की पहली पसंद हैं।

मध्यप्रदेश में पिछले दस दिनों में अलग-अलग एजेंसियों के तीन सर्वे आए हैं। इन में भाजपा की वापसी के संकेत और स्पष्ट बहुमत की भी संभावना दिख रही है।

वहीं, बीते दस दिनों में आईएनएस एजेंसी, एक चैनल और पोलस्टर के ओपिनियन पोल आए हैं। इन सभी पोल में भाजपा को बहुमत से अधिक सीटें मिल रही हैं।

वहीं, कांग्रेस को भी इन पोल्स में 100 से अधिक सीटें दिख रही। तमाम सर्वे से यह साफ है कि लाड़ली बहना योजना से प्रदेश में परिस्थिति बदल गई है।

कुछ दिन पहले पोलस्टर के आए सर्वे के अनुसार मप्र में आज चुनाव हो जाए तो भाजपा को 131-146 सीटें मिल सकती हैं। जबकि कांग्रेस को 66 से 81 सीटें मिलने का अनुमान है।

ओपिनियन पोल में 58.3 फ़ीसदी जनता ने शिवराज सिंह चौहान सरकार के कामकाज को बेहतर माना जबकि कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को केवल 41.7 फीसदी जनता का समर्थन।

वहीं, तीनों सर्वे में यह साफ है कि मुख्यमंत्री पद की रेस में शिवराज सिंह चौहान आगे हैं। साथ ही एंटी इंकम्बैंसी कोई बड़ा फैक्टर नहीं है। पोल में 60 फीसदी लोगों ने शिवराज को पसंद किया है।

दरअसल, मप्र में शिवराज सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की है। इसका असर दिख रहा है, चुनावी पोल में महिलाओं ने शिवराज सरकार को व्यापक जन समर्थन दिया है।

पेसा कानून की वजह से आदिवासी समाज का भी समर्थन मिला है। 43 फीसदी से अधिक लोग मानते हैं कि इस कानून का लाभ उन्हें मिल रहा है।

वहीं, 18 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद एंटी इंकम्बैंसी का न होना एक शोध का विषय हो सकता है।

पिछले दस दिनों में जो सर्वे आये हैं। उनमें निजी चैनल का ओपिनियन पोल हैं। निजी चैनलों के ओपिनियन पोल में 58.3 फीसदी जनता ने शिवराज सिंह चौहान सरकार के कामकाज को बेहतर माना जबकि कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को केवल 41.7 फीसदी जनता का समर्थन है। निजी चैनलों के ओपिनियन पोल में कमलनाथ से बहुत आगे निकले हैं शिवराज। तीनों ही ओपिनियन पोल में मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे पसंदीदा चेहरा शिवराज ही हैं।

दो महीने पहले तक चल रही एंटी इंकम्बैंसी और चेहरा बदलने की बात को भी इस पोल ने खारिज किया है। पोल में शिवराज को 60.2 फीसदी जनता का समर्थन जबकि कमलनाथ के पक्ष में महज 39.8 फीसदी लोग है।

लाडली लक्ष्मी को 43.8 फीसदी जनता का समर्थन निजी चैनलों के ओपिनियन पोल में बहनों और आदिवासियों का वोट भाजपा के पक्ष में आया।

लाडली बहना के आयोजनों और आदिवासी इलाकों में पेसा एक्ट की चौपालों को मिले समर्थन का प्रतिबिंब भी इस पोल में दिखाई दे रहा है। शिवराज सरकार की महत्वाकांक्षी लाडली लक्ष्मी योजना को 43.8 फीसदी जनता का समर्थन मिला है।

ओपिनियन पोल के मुताबिक 38.4 फीसदी लोगों ने माना कि पेसा कानून से आदिवासी समाज को बहुत लाभ हुआ है जबकि 43.2 फीसदी लोगों के मुताबिक इस कानून से कुछ हद तक लाभ मिला है।

कथित तौर पर यह माना जा रहा है कि इस चुनाव में भी बीजेपी की तरफ से पोस्टर बॉय शिवराज सिंह चौहान ही हैं। साथ ही प्रदेश में उनकी सक्रियता इस बात की गवाह है।

दिल्ली भी उनके काम पर मुहर लगाती रही है। पिछले दिनों पीएम मोदी ने भी उनकी तारीफ की थी।

हालांकि जमीनी स्तर पर स्थानीय मुद्दों की वजह से भाजपा के कुछ विधायकों से नाराजगी है। लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान के प्रति कोई बड़ी नाराजगी नहीं देखने को मिली है।

ऐसे में संभावना है कि स्थानीय स्तर पर मिले फीडबैक के आधार पर कुछ विधायकों का पत्ता कट सकता है।

वहीं, प्रदेश की जनता को मामा की सहजता पसंद आती है। वह कहीं भी लोगों के बीच में पहुंच जाते हैं। अपने परिवार की तरह उन्हें प्यार देते हैं।

साथ ही विपरीत विचारधारा वालों से भी सामंजस्य बैठाकर चलते हैं। यही वजह है कि बाहर से आए लोगों को भी उन्होंने मुरीद बना लिया है।

 



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