योगेश सोनी।
राजनीति में पैर पढ़ाई आम प्रचलन हो गया है। इस दौर में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक ने जो पहल कर आज की राजनीति में जो उदाहरण प्रस्तुत किया है उसके लिए उनको साधुवाद है, कारण उनकी एक फोटो वायरल हो रही है जिसमें उनके ऑफिस में लिखा गया है कि पैर छूने वाले की सुनवाई नहीं होगी।
यह अनुकरणीय है विशेष रूप से राजनीति में,क्योंकि आप उनकी वोट से ही मनचाहे पद पर पहुंचे है,उनकी समस्या हल कराना आपका दायित्व है, ना कि कोई अहसान है जिसके तले दबा व्यक्ति पैर पढ़ने पर मजबूर हो जाए। जनता मालिक है और मंत्री संत्री सब जनता जनार्दन के सेवक है।
किसी भी व्यक्ति के पैर दो ही स्थिति में पड़े जाते है,या तो वह श्रृद्धा का पात्र हो,उम्र में,रिश्ते में बड़ा हो। जिनने कभी अपने जन्मदाता माता पिता के पैर नहीं छुए वह नेताओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हुए अपनी फोटो सोशल मीडिया पर डालकर गौरवंतित महसूस करते है।
अब रही बात आम आदमी की तो बेचारा अपना अटका काम जो कतिपय अधिकारी और कर्मचारी की वजह से रुका हुआ है उसे कराने नेताओं के पास जाता है और पैर पकड़ना उसकी मजबूरी है।लेकिन राजनीतिक भविष्य तलाशते लोग,पद पाने अथवा सरकारी लाभ लेने लाभ वश पैर पड़ाई होती है। तीसरी स्थिति चाटुकारों की होती है।
वैसे राजनीति में पैर पड़ना एक विशिष्ट कला होती है, यह आज की नहीं अनादिकाल से चला आ रहा है। राजनीति में अच्छे अच्छों को पद पाने के लिए दूसरों के पद यानी चरणों में पढ़ते देखा जाता है।वही शक्तिशाली पुरुषों जिनके पास,कोई भी पद हो पैसा हो ताकत हो वह इस योग्य हो या न हो पर उनके चरणों में किसी भी कारण से झुके सर अहंकार को पोषित करते रहते है और यही अहंकार उनको को पौंडरक वासुदेव बना देता है।
और यदि किसी ने पैर नहीं पड़े तो उसे तिरछी नजर यानी वक्र दृष्टि से देखा जाता है, जैसे उस व्यक्ति ने गुनाह कर दिया हो।और यह तिरछी नजर शनि दृष्टि की तरह होती है। बस इसी दृष्टि से बचने लोग मजबूरी में नेताओं के चरण छूते रहते है।
आध्यात्मिक रूप से देखें तो साधु संतों, माता पिता गुरुजनों के पैर छूना सनातन धर्म में महत्वपूर्ण माना गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी रामायण में लिखा है, प्रा
तः काल उठके रघुनाथा, मात-पिता गुरु नवहिं माथा।
इसलिए पैर उसी के छूना चाहिए जिनके पास आशीर्वाद देने खुद का इतना तप हो। क्योंकि पैर छूने वाले को अर्जित तप का पुण्य प्राप्त होता है।
तप किसके पास है यह जानने का सबसे सरल तरीका है उनके आचरण देखे जाए, जिनके पास तप होता है उनके आचरण तपस्वियों की तरह होते है। अतः आचरण देखकर ही चरण छूना चाहिए।
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