मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारतीय रेल पैसा बनाने के लिए एक और तरीका अपनाने पर विचार कर रहा है। इस पर अमल होने की स्थिति में विंडो सीट के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। रेलवे की माली हालत को सुधारने के लिए पिछले कुछ वर्षों में किराया बढ़ाने के अलावा अन्य तरह के उपाय लागू किए गए हैं। इनमें प्रीमियम और टिकट कैंसिल कराने पर ज्यादा शुल्क वसूलने के प्रावधान शामिल हैं।
इसी प्रक्रिया के तहत रेलवे एक और उपाय पर विचार कर रहा है। ज्ञातव्य है कि फिलहाल विंडो सीट के लिए अतिरिक्त पैसा नहीं लिया जाता है। टिकट बुक कराने के दौरान लोअर और अपर बर्थ के तौर पर निशुल्क विकल्प दिए जाते हैं। लेकिन, विमानों की तर्ज पर अब विंडो सीट के लिए ज्यादा किराया वसूलने पर विचार किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे फ्लेक्सी फेयर में बदलाव पर भी विचार कर रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग मूल किराये पर ही यात्रा कर सकें। इसे हवाई यात्रा में लागू डायनेमिक प्राइसिंग की तर्ज पर लाने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा रेलवे आगे की सीट के लिए ज्यादा किराया ले सकता है। साइड बर्थ के किराये में कटौती भी संभव है। ‘ऑन और ऑफ सीजन’ का फॉर्मूला लागू करने पर भी विचार किया जा रहा है।
इसके अमल में आने पर त्योहारों के मौसम में यात्रियों को सामान्य से ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। वहीं, ऑफ सीजन में रेलवे किराये को कम रख सकता है। मालूम हो कि रेलवे में लागू फ्लेक्सी फॉर्मूले के तहत यात्रियों को ज्यादा पैसा देना पड़ता है। इसके तहत 10 प्रतिशत सीट भरते ही किराये में 10 फीसद की वृद्धि हो जाती है। विमानों में डायनेमिक फेयर का नियम लागू है। यह 30 प्रतिशत तक है। हवाई यात्रियों को 30 फीसद सीटें भरने के बाद ही 10 प्रतिशत ज्यादा किराया देना पड़ता है।
रेलवे की आर्थिक स्थिति को लंबे समय से दुरुस्त करने की कोशिश की जा रही है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किराये में वृद्धि के साथ कई अन्य विकल्पों को भी अमल में ला चुकी है। ताजा पहल से यात्रियों को कुछ राहत मिल सकेगी। हालांकि, यह फिलहाल विचार के स्तर पर ही है। इसे हरी झंडी नहीं दी गई है।
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