कीर्ति राणा।
मध्यप्रदेश में तबादलों पर रोक के आदेश पर सख्ती से अमल के पहले रविवार की रात हुए आईएएस के तबादलों में सर्वाधिक चौंकाने वाला आदेश मनोज पुष्प को छिंदवाड़ा कलेक्टर बनाने वाला रहा है।
मध्य प्रदेश में यदि अमित शाह ने इंदौर से चुनावी शुरुआत की है तो छिंदवाड़ा में मनोज पुष्प की नियुक्ति भी इस लोकसभा सीट को जीतने की जमावट कही जा सकती है।
विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक अमित शाह सहित पूरी भाजपा के निशाने पर छिंदवाड़ा रहना है।इंदौर में तो उन्होंने कसक जाहिर भी कर दी है कि पिछली बार हमलोकसभा की (पहले 19 बोले फिर) 29 सीटें जीते, एक छिंदवाड़ा नहीं जीते थे।
कभी सर्वाधिक छिंद (पाम वृक्ष डेट-पॉम कहते हैं) वाला वाड़ा (जगह) होने से छिंदवाड़ा नाम से पहचान बना चुके इस जिले में 2003 में वे उमा भारती सरकार में छिंदवाड़ा में एसडीएम पद पर रह चुके हैं। उप सचिव महिला बाल विकास व वणिज्यिक कर विभाग तथा प्रबंध संचालक, महिला वित्त एवं विकास निगम भोपाल के अतिरिक्त प्रभार पर पदस्थ मनोज पुष्प छिंदवाड़ा से भले ही अंजान नहीं है लेकिन चुनावी साल में उन्हें यहां कलेक्टर पदस्थ करना खुद उनके लिए भी खुद को सिध्द साबित करने जैसा ही रहेगा।
उनकी इस पोस्टिंग से यह तो साबित हो गया है कि मुख्यमंत्री का उन पर भरोसा है लेकिन खुद मनोज पुष्प के हर काम की अघोषित समीक्षा अब अमित शाह की विश्वस्त टीम करती रहेगी क्योंकि लोकसभा की यह सीट जीतना मोशाजी के लिए भी नाक का सवाल है।
छिंदवाड़ा में कमलनाथ और राघोगढ़ में दिग्विजय सिंह को उनके ही घर में घेरने की चाल चल रही भाजपा की इस रणनीति को कांग्रेस न समझ पाए यह संभव नहीं। 2018 के चुनाव में इन दोनों जिलों में कांग्रेस का प्रदर्शन प्रभावी रहा है।नकुल नाथ को संसद में भेज कर कमलनाथ ने सीएम पद की शपथ ली थी।
इस बार कमलनाथ-दिग्विजय के जिम्मे प्रदेश की 150 से अधिक सीटें जीतने का दायित्व है तो उनमें इन जिलों की विधानसभा सीटें भी शामिल हैं।या तो फिर कमलनाथ-दिग्वजय का सिक्का चलेगा या छिंदवाड़ा में सफलता मिलने और प्रदेश में अमित शाह का डंका बजने पर पर कुछ नंबर तो मनोज पुष्प के भी बढ़ जाएंगे।
सागर से ट्रांसफर पश्चात 11 अक्टूबर 22 को ज्वाइन करने वाली श्रीमती शीतला पटले जिले की पहली महिला कलेक्टर के साथ ही मात्र 9 महीने में हटाई और सीएम हाउस में पदस्थ की गई आईएएस के रूप में भी याद रखी जाएंगी। समीपस्थ बालाघाट जिले की रहने वाली श्रीमती पटले के लिए छिंदवाड़ा जिला जाना-पहचाना था, उनके रिश्तेदार भी यहां रहते हैं।ऐसे में या तो उनकी सरकार से पटरी नहीं बैठ पाई या सरकार विरोधियों से पटरी बैठ गई थी, यही कारण रहे कि उनकी नौ माह में विदाई को लेकर कई तरह की चर्चा है।
Comments