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इन वोटर्स पर चला जिस दल का जादू, सत्ता चले उसके साथ

खास खबर            Aug 08, 2023


कीर्ति राणा।

मध्यप्रदेश में चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव पिछले कुछ चुनावों का रिकार्ड रहा है कि मतदान करने वालों में महिला और युवा मतदाताओं पर जिस दल का जादू चल जाता है वो सरकार बनाने की रेस में आगे निकल जाता है।

हालांकि युद्ध, प्रेम, क्रिकेट और इलेक्शन में ऊंट किस करवट बैठ जाए पहले से कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन मध्य प्रदेश चुनाव के संदर्भ में फिलहाल आंकड़े तो संकेत कर रहे हैं कि पांचवी बार भी प्रदेश भाजपा की सरकार बनने के आसार हैं।

रहा मुख्यमंत्री कौन ? का सवाल तो खुद भाजपा प्रधानमंत्री के नाम-काम को आधार बना कर चुनाव लड़ रही है तो तय है मोशाजी के मन को जो जीत लेगा वही अगला सीएम भी होगा।

रही शिवराज सिंह की बात तो खुद उनके समर्थक भी जानते हैं मोशाजी का दिल तो वो पहले से ही खूब जीत चुके हैं।

इस चुनाव में मतदान करने वालों के जो आंकड़े प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ)

अनुपम राजन ने जारी किए हैं वो संकेत दे रहे हैं कि मप्र में भाजपा फिर सत्ता में आती है तो चुनाव रणनीति को अंजाम दे रही टीम से अधिक सारा श्रेय अमित शाह के खाते में जाने वाला है।

इस साल विधानसभा और अगले साल मप्र में भी लोकसभा चुनाव होना है। विधानसभा चुनाव में मतदान करने वाले कुल मतदाता 5 करोड़ 44 लाख 52 हजार 522 हो गए हैं।इनमें भी

पुरुष मतदाता 2 करोड़ 81 लाख 99 हजार 333 और महिला मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 62 लाख 51 हजार 863 है।हर चुनाव में पहली बार मतदान करने वाले युवा मतदाताओं को जो दल प्रभावित कर लेता है वही सत्ता सिंहासन की राह पर चल पड़ता है।

मध्य प्रदेश में जनवरी से जुलाई के बीच इन युवा मतदाताओं की संख्या 5 लाख 17 हजार 423 दर्ज की गई है। भाजपा की सारी तैयारी विधानसभा में 200 सीटें जीतने के साथ लोकसभा चुनाव का माहौल बनाने वाली चल रही है।

इसके विपरीत कर्नाटक में मिली सफलता से उत्साहित कांग्रेस के रणनीतिकारों का फोकस अभी सिर्फ विधानसभा चुनाव पर और लक्ष्य 150 से अधिक सीटें जीतने पर है।

इनके साथ ही 20 से 29 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 31 लाख 93 हजार 816 है और

30 से 39 वर्ष के मतदाता 1 करोड़ 44 लाख 02 हजार 242। 50 से 59 वर्ष के मतदाता

75 लाख 22 हजार 156 एवं 60 से 69 वर्ष के मतदाता 43 लाख 72 हजार 141 हैं।

आंकड़ों के आधार पर तो आभास होता है कि पहली बार मतदान करने वालों के साथ ही 30 वर्ष तक के मतदाताओं को नरेंद्र मोदी के हर काम को विश्व स्तर पर मिली प्रसिद्धि वाला प्रचार और भाजपा की नीतियां प्रभावित कर सकती हैं।

किंतु दूसरा पक्ष यह भी है कि सोशल मीडिया पर परोसे जाने वाली हर खबर का दूसरा पक्ष भी कुछ पल में उतनी ही तेजी से वॉयरल करने में एक्टिव विभिन्न दलों की ट्रोल आर्मी दिलो-दिमाग को झटका देने में सक्रिय रहती हैं।

भाजपा यदि मप्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का मन बहुत पहले ही बना चुकी थी तो उसकी एक बड़ी वजह हाल ही में कर्नाटक विधानसभा के चुनाव परिणाम के साथ भाजपा वाले राज्यों में बीते वर्षों में पनपा भ्रष्टाचार, नौकरशाही पर निर्भरता और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की सतत अनदेखी से राज्यों के नेततृत्व पर बढ़ता जनाक्रोश भी है।

मोशाजी ने इन राज्यों में ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए ही चुनाव संचालन के लिए अपनी विश्वस्त टीम को राज्यों में तैनात कर रखा है।

पहली बार मतदान करने वाले युवाओं को लेपटॉप, स्कूटी, साइकिल, स्कॉलरशिप आदि योजनाओं में मिलने वाला लाभ भाजपा के अत्यधिक विश्वास का कारण बना हुआ है तो मप्र में सवा करोड़ से अधिक लाड़ली बहनों को हर माह दी जा रही किश्त से रिटर्न गिफ्ट मिलने का भी भरोसा है।

25 जुलाई से 21 साल की युवतियों को भी इस योजना के फार्म भरने योग्य मान लिया है। इनके लिए ही उम्र के 23 साल वाले बंधन को घटा कर 21 किया गया है।

अभी 23 साल उम्र या अधिक वाली 1.25 करोड़ महिलाओं को जून और जुलाई दो किश्तों का लाभ मिल चुका है। इसी माह से 21 से 23 वर्ष वाली 10 लाख महिलाओं को भी 10 तारीख से पहली किश्त मिलने लग जाएगी।

जिन किसान परिवारों को ट्रेक्टर होने से लाभ नहीं मिल रहा था वे 21 से 60 साल तक की महिलाएं भी अब इस योजना का लाभ ले सकेंगी। इन थोकबंद वोटर्स का आंकड़ा किसी भी दल की जीत में मददगार बनेगा ही।

 



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