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इतनी परियोजनाएं क्यों लम्बित हैं सरकार ?

खास खबर            Nov 17, 2022


राकेश दुबे।

 केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के आंकड़े पढ़ने को मिले, इन आंकड़ों से जो तस्वीर दिखती है वो  भाजपा नीत राष्ट्रीय गठबंधन सरकार के प्रचार से एकदम उलट है।

विकास का दावा करने वाली सरकार का ध्यान, निर्धारित समय में परियोजनाओ के पूर्ण होने पर नहीं है।

सड़क यातायात, राजमार्ग,रेलवे,और पेट्रोलियम सेक्टर में सैकड़ों परियोजनाएं लम्बित हैं।

यह एक पत्थर पर लिखी इबारत है कि किसी भी  देश के आर्थिक विकास में इंफ्रास्ट्रक्चर की महती भूमिका होती है| और उस योगदान को सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि परियोजनाएं समय पर पूरी हों।

ताकि उनकी लागत भी न बढ़े और उनका लाभ भी उठाया जा सके|

सरकारी आंकड़े कहते हैं कि विभिन्न कारणों से कई परियोजनाएं निर्धारित समय में पूरी नहीं हो पा रही  हैं।

केंद्र सरकार की इस रिपोर्ट में जानकारी दी है कि सड़क यातायात एवं राजमार्ग क्षेत्र में सबसे अधिक 262 परियोजनाएं लम्बित हैं तो  रेलवे में 115 और पेट्रोलियम सेक्टर में 89 परियोजनाएं लंबित हैं।

इस विलम्ब के कई कारण और निवारण मौजूद हैं, पर सरकार उन पर चर्चा नहीं करना चाहती है।

वैसे विभिन्न क्षेत्रों में कुल परियोजनाओं की संख्या क्रमशः835,173और 140  है, वैसे तो  इस रिपोर्ट में सितंबर तक का ब्यौरा दिया गया है।

कहने को केंद्र सरकार की जिन परियोजनाओं की लागत 150 करोड़ रुपये या उससे अधिक होती है।

उनकी निगरानी का काम इंफ्रास्ट्रक्चर एंड प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग डिवीजन का होता है, जो केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन है।

 यह विभाग पूरी मुस्तैदी से काम नहीं करता दिख रहा है ।

इन लंबित परियोजनाओं के संबंध में सबसे अधिक चिंताजनक पहलू यह है कि अनेक योजनाएं डेढ़-दो दशक से भी अधिक समय से अधर में लटकी पड़ी हैं।

ऐसे में साल-दर-साल योजनाओं का बजट बढ़ना स्वाभाविक है और इससे राजकोष पर भी बोझ बढ़ता जा रहा  है|

जैसे रेलवे की जो लगभग 175 परियोजनाएं हैं, उनकी शुरुआत में कुल लागत का आकलन3,72 ,761.45  करोड़ रुपये था, लेकिन अब यह बढ़कर 6,23 008,98  करोड़ रुपये हो चुका है।

इसका सीधा अर्थ यह है कि आकलित बजट से 67.1 प्रतिशत  अधिक लागत का आकार हो चुका है।

इन परियोजनाओं पर अभी तक 3,50,349.9 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं।

अभी तक जो स्थिति है, उसमें जितना खर्च होना चाहिए था, उससे यह राशि 56.2 प्रतिशत अधिक है।

सड़क परियोजनाओं में खर्च के आकलन में तो वृद्धि 6.5  प्रतिशत ही आंकी गयी है, लेकिन अभी तक अनुमानित खर्च से 61.2 प्रतिशत अधिक खर्च हो चुका है। पेट्रोलियम सेक्टर में ये आंकड़े क्रमश: 5.4 और 36  प्रतिशत हैं|

कहने को इंफ्रास्ट्रक्चर विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में है और उनकी पहल पर बने प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग ग्रुप ने वर्तमान वित्त वर्ष (2022-23) के पहले छह महीने में विभिन्न परियोजनाओं से संबंधित 11 सौ से अधिक मसलों का समाधान किया है।

इसके बावजूद सड़क, रेल और पेट्रोलियम परियोजनाओं में देरी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर नहीं है।

एक रिपोर्ट में यह सब सामने आना कोई सराहनीय कार्य नहीं है।

केंद्र सरकार को इस संबंध में  और पारदर्शी जानकारी  देना  चाहिए।

साथ ही केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि देरी के कारणों की पहचान और पड़ताल के साथ समाधान की और त्वरित पहल हो ऐसे प्रयास किये जाने चाहिए|

 



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