ममता मल्हार।
मध्यपदेश के सागर के बड़तूमा में सरकार 11.21 एकड़ में सौ करोड़ की लागत से संत रविदास का मंदिर बना रही है।
सागर के बड़तूमा में बनने वाले इस मंदिर का भूमिपूजन आज शनिवार 12 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। सवाल उठता है कि आखिर पूर मध्यप्रदेश में सागर के बड़तूमा को ही संत रविदास के मंदिर निर्माण के लिए क्यों चुना गया ?
इसका जवाब सागर के स्थानीय लोग देते हुए बताते हैं बड़तूमा में पहले से एक छोटा सा रविदास है।
बड़तूमा एक अनुसूचित जाति बहुल विधानसभा क्षेत्र का अजा बहुल वार्ड है। वस्तुत: मकरोनिया, नरयावली विस क्षेत्र तदनंतर सागर जिला अजा बहुल माना जाता है।
बड़ी बात यह है कि यहां 11.21 एकड़ सरकारी जगह भी उपलब्ध है। ... वैसे कर्रापुर नरयावली क्षेत्र का पुराना रविदासी क्षेत्र है। यह भटिंडा वाले डेरे से जुड़ा है और रविदासी सन्यासी यहां सैकड़ों वर्षों से आते रहे हैं ऐसा डेरे प्रमुखों का कहना है।
सागर जिले में रविदास मंदिर बना कर इसे दुनिया के रविदासिया लोगों को एक व्यवस्थित तीर्थस्थल देने, धार्मिक टूरिज्म बढ़ाने पर ध्यान है।
गौरतलब है कि 22 देशों में आज संत रविदास मंदिर हैं। लगभग 22 करोड़ अनुयाई दुनिया भर में हैं। यूट्यूब पर अलग से चैनल पोर्टल सब हैं उनके।
केंद्र सरकार से एक बड़ी ग़लती दिल्ली के पास तुगलकाबाद के फारेस्ट में स्थित पुराना रविदास मंदिर और जमीन डीडीए को देकर नष्ट कराने की ग़लती 2010 के आसपास हुई थी।
इसे धीरे-धीरे मुद्दा बनाया जा रहा था भीम आर्मी द्वारा। इन सबको लेकर मोदी सरकार ने रविदासियों को अपने एजेंडे में शामिल कर लिया है। सागर वाणी पर एक लेख मैंने कुछ दिन पूर्व लिखा है वह भी पढ़ें।
स्थानीय लोग मानते हैं और मध्यप्रदेश के भी अन्य लोग यह मानते हैं कि रविदासिया समाज के लिए यह एक तीर्थ स्थान की तरह बन सकता है। इसके अलावा रोजगार ज्यादा अवसर उपलब्ध होंगे।
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