70 हजार में मृतक किसान की बेवा अपने खेत पर बंधुआ

खास खबर, वामा            Mar 03, 2017


बांदा से आशीष सागर।
#कामबोलताहै #किसानकीकर्जमाफी #परिवर्तनलायेंगे
' वो मर गया इस सदमे में कि बेटे को बीटेक कराऊंगा,
बिटिया जब ब्याह को होगी तो डोली सजाऊंगा ! '
यूपी बुन्देलखण्ड,महोबा का बरा गाँव! तस्वीर में मृतक किसान संतोष विश्वकर्मा ( 19 नवम्बर 2016 ) की बेवा पत्नी सौहद्रा है। 5 बीघे के लघु कास्तकार किसान की अटैक - सदमे से मौत हुई। सौहद्रा आज पति की मृत्यु के बाद अपने ही बंधक रखे खेत में मजदूरी करती है। उसका पांच बीघा खेत महोबा के वहीद को इकरारनामा के तहत महज 70 हजार में दो साल के लिए गिरवी रखा है। क्षेत्र में डेढ़ लाख का बीघा कृषि भूमि चल रही है। मृत किसान ने अपने बेटे उमाशंकर ( छात्र बीए ) की पढ़ाई के लिए उसको बीटेक कराने के अरमान के साथ ये कर्जा लिया था। उधर उसपर किसान क्रेडिट कार्ड का 50 हजार रूपये कर्जा सहित कृषि उपकरण क्रय में भूमि विकास बैंक का भी ऋण बकाया है।

पिता की अकाल मौत के बाद बेटा बीटेक छोड़कर महोबा में ही साइबर कैफे की 2500 रूपये मासिक नौकरी करते हुए बीए कर रहा है। परिवार के अब मुखिया- ज़िम्मेदार उमाशंकर की छोटी बहन संगीता ( सोलह वर्ष ) इंटर की छात्रा है।वो कहती है पिता कहते थे एमए कराकर तेरा ब्याह करूँगा। माँ की गैरमौजूदगी में उसने सारी आप बीती बयान की है। पिता की सदमे से हुई मौत पे इतना भी रुपया न था कि उनका अंतिम संस्कार किया जा सकता। तब इलाके के बुन्देलखण्ड नवोदय कालेज खोले प्रसाशनिक अधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह ने बिटिया की पढ़ाई का कुछ खर्चा दिया और गाँव की फौरी मदद से पिता की तेरहवीं की जा सकी।

जब खेत पर माँ सौहद्रा से जानकारी ली गई तो उसने बतलाया कि वहीद गिरवी रखी जमीन को वापस लेने का दबाव बना रहा था,आज वही खेत जोत रहा है। पति चिंतित थे जिससे उनकी अटैक से म्रत्यु हुई.तीन बरस का लगातार सूखा पड़ा तो खेत और घर में कुछ नहीं था,बेटे-बेटी की चिंता ने संतोष को हमसे छीन लिया।सूखे का मुआवजा मिलना अभी तक बाकी है। पति की मौत के बाद इस चौथे चरण के चुनाव तक कोई नेता प्रत्याशी,अधिकारी देहरी तक नहीं आया।

ये अलग बात है कुछ कथित किसान हितैसी पार्टी अब किसान के कर्जमाफी की घोषणा अपने चुनावी विज्ञापन में रोज कर रही है। उनका दावा है वे किसान का परिवर्तन करेंगे तब जब तीन साल से वे केंद्र में बैठे हैं और प्रदेश की सरकार के साथ चुनाव आरोप की राजनीति कर रहे हैं। समाजवाद ने क्या किया ये बतलाने के लिए मेरा परिवार बहुत है। सौहद्रा को आज 70 हजार रूपये की दरकार है ताकि वो वहीद से अपने खेत को छुड़ाकर अपने ही खेत में मजदूरी से मुक्ति पा सके और परिवार की बे- पटरी गाड़ी गरीबी की दुर्घटना से बच जावे।



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