मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यांचल कॉटन जीनस एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन मध्य प्रदेश के कॉटन व्यापारी 11 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं।
एसोशिएशन के अध्यक्ष विनोद कुमार जैन बागोद ने विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि व्यापारी लंबे समय से मंडी शुल्क 0.5 % प्रति सैकड़ा करने की मांग कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश में जहां मंडी शुल्क 1.50% प्रति सैकड़ा एवं 0.20% प्रति सैकड़ा निराश्रित शुल्क वसूला जा रहा है।
(जो कि 1960 में बांग्लादेशी शरणार्थी आए थे तब से निराश्रित शुल्क लागू है जिसका अभी कोई औचित्य नहीं है फिर भी लिया जा रहा है )मध्य प्रदेश के समीपवर्ती प्रदेश गुजरात और महाराष्ट्र में मंडी शुल्क की दर 0.25 %से 0.50 % तक है।
डायरेक्ट कपास विक्रय पर कोई मंडी शुल्क नहीं है, जिसके चलते व्यापारियों और जीनिंग फेक्ट्री संचालकों को व्यापार में कठिनाईं उठाना पड़ रही है।
माननीय शिवराज सिंह जी चौहान के द्वारा प्रदेश में पूरे भारतवर्ष एवं विदेशों से उद्योगपति को आमंत्रण देकर मध्य प्रदेश में उद्योग एवं रोजगार बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश में पूर्व से स्थापित जिनिंग उद्योग अधिक मंडी टैक्स एवं मंडी टैक्स की जटिलता के कारण दम तोड़ रहा है।
श्री जैन ने बताया कि मध्यप्रदेश का जितना भी कॉटन बेल्ट है वह महाराष्ट्र एवं गुजरात बॉर्डर से सटा हुआ है। कपास जिनिंग उद्योग में लगभग 200 मंडी व्यापारी और 150 जिनिंग उद्योग को संचालक करने मैं परेशानी आ रही है।
जिसके चलते करीब-करीब 11000 से 15000 मजदूर बेरोजगार होने की स्थिति एवं उद्योग बंद होने की स्थिति आ रही है।
महाराष्ट्र गुजरात में एक रूई की गाठ बनाने पर करीब ₹100 मंडी टैक्स लगता है, एवं वही रुई की गांठ मध्यप्रदेश में बनाने पर करीब ₹500 मंडी टैक्स प्रति गांठ का लगता है।
इस कारण सरकार को प्रत्यक्ष तौर पर और किसानों को अप्रत्यक्ष तौर पर खामियाजा भुगतना पड़ता है।
प्रदेश में साढ़े चार लाख किसान परिवार कपास की खेती कर अपना एवम परिवार का भरण पोषण करते हैं एवं वही किसान परिवार करीब-करीब अपने अपने गांव में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देते हैं।
सरकार के कठोर निर्णय के कारण अधिसंख्य किसान अपना माल गुजरात और महाराष्ट्र में बेचने पर मजबूर हो जाते हैं। जिससे मध्यप्रदेश में कपास का उत्पादन ज्यादा नहीं बढ़ रहा है।
यूं देखा जावे तो मध्यप्रदेश में कॉटन का क्रॉप 25 लाख गांठ का होता है। लेकिन मंडियों में कपास सिर्फ 18-19 लाख गांठ का ही आता है।
क़रीब करीब 5-6 लाख गांठ का मॉल मध्य प्रदेश से बाहर चला जाता है जिसकी मध्यप्रदेश शासन को मंडी टैक्स एवं जीएसटी (आरसीएम) नहीं मिल पाता है।
मंडी टैक्स मध्यप्रदेश में कम रहेगा तो यह माल मध्यप्रदेश में ही प्रोसेस होगा एवं महाराष्ट्र एवं गुजरात से माल एमपी में आने लगेगा जिससे मध्य प्रदेश सरकार को मंडी टैक्स एवं एसजीएसटी भी ज्यादा मिलेगा ।
एसोसिएशन के सुझाए फार्मूले से सरकार को सिर्फ 30 करोड़ रुपए का नुक़सान होगा।
लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र से आयातित कपास से•50% सैकड़ा मंडी टैक्स होने से मंडी टैक्स से प्राप्त करीब करीब 28 करोड़ एवं आयातित कपास पर एसजीएसटी से प्राप्त अतिरिक्त करोड़ रुपया राजस्व मध्य प्रदेश सरकार को होगा।
समीपवर्ती प्रदेशों के बराबर मंडी शुल्क करने से सरकार को दुगनी आय प्राप्त होगी।
श्री जैन का कहना है कि भोपाल में कई बार अधिकारियों और मंत्री से , एवं लोकल जनप्रतिनिधियों सांसद एवं विधायक से मिले लेकिन कोई हल नहीं निकला।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस मामले में आगे आकर शीघ्र अतिशीघ्र मंडी टैक्स कम कर उद्योग एवं रोजगार को सहयोग करने की घोषणा करना चाहिए।
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