मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने आज एक याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के फैसले पर नाराजगी जताते हुए नोटिस जारी किया है।
हाई कोर्ट ने पूछा है कि 38 वर्ष की लगातार सेवा लेने के बाद नियुक्ति को अवैध ठहराना उचित है क्या? मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गई है।
मध्य प्रदेश में ऐसे बहुत कर्मचारी है जो पिछले 25 वर्षों से अधिक वर्ष से तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने उनका नियमितीकरण नहीं किया है।
इस विषय पर कई आंदोलन हुए राज्य शासन ने कई बार नियमितीकरण की योजनाएं बनाई परंतु ऐसे कर्मचारियों को उन योजनाओं का लाभ नहीं दिया गया जो कि पद के विरुद्ध नियुक्त नहीं हुए थे।
खास बात ये है कि सरकार ने उन्हें विनियमितीकरण का लाभ प्रदाय किया गया लेकिन अब ऐसे कर्मचारियों को यह कहा जा रहा है कि उनकी नियुक्ति अवैध है।
ऐसे ही एक कर्मचारी हैं राकेश कुमार चौरसिया, जो कार्यालय उप संचालक उद्यान जिला जबलपुर में कार्यरत हैं।
उन्होंने हाई कोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत कर कहा कि पूर्व में उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य शासन को याचिकाकर्ता को नियमितीकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही करने हेतु आदेश दिए गए थे।
आदेश के परिपालन में राज्य शासन के द्वारा जो निर्णय लिया गया, उसमे यह कहा गया कि 38 वर्ष के पूर्व जो नियुक्ति की गई थी वह अवैध है क्योंकि उस ये पद स्वीकृत पद नहीं था।
यहाँ समझने वाली बात ये है कि 38 साल के लंबे शासकीय सेवा अंतराल में कभी भी राज्य शासन द्वारा राकेश कुमार चौरसिया की नियुक्ति को अवैध नहीं ठहराया गया है।
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय के ऐसे आदेश है कि ऐसे कर्मचारी जो कि 10 वर्ष से अधिक सेवारत है उनकी नियुक्ति चाहे अवैध हो या अनियमित हो उनके प्रकरणों पर नियुक्तिकरण हेतु स्थाई समिति नियुक्त की जानी चाहिए एवं मुख्य सचिव को इसके आदेश दिए गए थे।
न्यायालय का कहना है कि है राज्य शासन एक आदर्श नियोक्ता है, लंबे समय से किसी कर्मचारी की सेवा अनवरत ली जा रही है, परंतु उसे स्थाई कर्मचारी का लाभ नहीं दिया जा रहा है यह अनुचित है।
कोर्ट ने ये भी कहा कि राज्य शासन द्वारा अभी तक न्यायालय के पूर्व पारित आदेश पर कार्यवाही नहीं की गई है, ये उचित नहीं है।
आज 13 नवम्बर को जस्टिस मनिन्दर सिंह भट्टी की बेंच ने राकेश चौरसिया के प्रकरण में सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान राज्य शासन से कोर्ट ने पूछा है कि जब उच्च न्यायालय के पूर्व के आदेश दिनांक 25 मार्च 2025 को मुख्य सचिव को यह निर्देश दिए गए है, कि वे इस विषय में कार्यवाही करे तो अभी तक कार्यवाही हुई है, या नहीं इसकी जानकारी कोर्ट को दें। प्रकरण को अगली सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी।
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