मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सरकार ने नगरपालिका संशोधन विधेयक 2025 सर्वसम्मति से पारित कर दिया।
मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार 2 नवंबर को सदन में नगर पालिका संशोधन विधेयक-2025 को चर्चा के बाद पारित कर दिया गया।
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह संशोधन लोकतंत्र को और मजबूत करेगा। उन्होंने बताया कि 1999 से 2015 तक नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करती थी।
वर्ष 2022 में यह प्रणाली बदलकर अध्यक्षों का चुनाव पार्षदों के माध्यम से किया गया था, लेकिन अब फिर से प्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था लागू होगी। मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि अध्यक्ष को वापस बुलाने (राइट टू रिकॉल) की प्रक्रिया भी संशोधित की गई है।
नई व्यवस्था के अनुसार अध्यक्ष को वापस बुलाने के लिए कुल मतदाताओं के आधे से अधिक मतदाताओं का समर्थन आवश्यक होगा। प्रक्रिया शुरू करने से पहले कम से कम तीन-चौथाई पार्षदों को प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा।
अध्यक्ष के कार्यकाल के पहले तीन वर्ष रिकॉल प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकेगी। उन्होंने इसे राजीव गांधी के सपनों के अनुरूप स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने वाला कदम बताया।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि इससे जनता को कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह भाजपा के लिए टिकट बेचने का माध्यम बन जाएगा और तीन साल बाद फिर खुलेआम राजनीतिक खरीद-फरोख्त होगी।
श्री सिंघार ने कहा कि अगर तीन साल बाद अध्यक्ष को रिकॉल किया जाना ठीक नहीं है। उसे पांच साल का पूरा समय देना चाहिए। वहीं, कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया ने कहा कि जहां विधायक और पार्षद खरीद-फरोख्त में शामिल हों, वहां राइट टू रिकॉल का कोई महत्व नहीं रह जाता।
उन्होंने कहा कि तीन साल बाद फिर खरीद फरोख्त शुरू होगी, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि संशोधन करने की वजह बनने वाली कमियों का भी उल्लेख किया जाना चाहिए।
अब नगरपालिका और नगर परिषदों में अध्यक्षों के चुनाव सीधे जनता करेगी। साथ ही राइट-टू-रिकॉल की अवधि ढाई साल से बढ़ाकर तीन साल कर दी गई है।
Comments