मल्हार मीडिया ब्यूरो।
पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन पर लगे स्टे को हटवाने सहित अन्य मांगों को लेकर ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स-अस्थाई कर्मचारी मोर्चा मध्य प्रदेश 21 नवंबर को इंदौर में श्रमायुक्त कार्यालय के सामने धरना देगा।
आउटसोर्स कर्मचारी नेता वासुदेव शर्मा ने आरोप लगाया कि 10 साल बाद पुनरीक्षित न्यूनतम वेतन को कंपनी मालिकों और श्रम विभाग ने मिलकर कानूनी प्रक्रिया में उलझा दिया है, जिससे प्रदेश के लाखों आउटसोर्स-अस्थाई कर्मचारियों को 2 से 3 हजार रुपए महीने तक का नुकसान हो रहा है। बढ़ती महंगाई में कामगारों, अस्थाई कर्मचारियों के वेतन में कमी करना अपराध है।
शर्मा ने बताया कि 21 नवंबर को श्रमायुक्त कार्यालय पर न्यूनतम वेतन पर लगी रोक हटवाने, अंशकालीन कर्मियों, ग्राम पंचायतों के चौकीदारों, भृत्य, पंप आपरेटर, पॉलिटेक्निक कालेज और शासकीय कॉलेज में जनभागीदारी से कार्यरत कर्मचारी, सफाई कर्मियों को न्यूनतम वेतन देने की मांग को लेकर गांधी हाल इंदौर में धरना दिया जाएगा।
कामगारों के नेताओं ने कहा कि लाखों कामगारों की मजदूरी में कमी किए जाने से मेहनतकश वर्ग में भारी आक्रोश है, सरकार को न्यायालय में मजदूरों के हक की लड़ाई लड़नी चाहिए। उन्होंने बताया कि न्यूनतम मजदूरी की दरों का निर्धारण राज्य शासन ने 2014 में किया था। न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के प्रावधानों के अनुसार 2019 में कामगारों की दरें बढ़ाई जानी चाहिए थीं। लेकिन कंपनी मालिकों के दबाव में राज्य शासन के अफसर मजदूरी की दरों में वृद्धि करने की जगह खामोश रहे।
हमारा संगठन मजदूरी बढ़ाने की मांग लगातार करता रहा, तब जाकर अप्रैल 24 में न्यूनतम वेतन पुनरीक्षित किया गया। न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तमाम नियमों को दस साल तक दर किनार करने के बाद सरकार ने 1 अप्रैल 2024 से अकुशल, अर्द्धकुशल, कुशल और उच्च कुशल श्रेणी के श्रमिकों की दरों में क्रमशः वृद्धि कर दी। मई में प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों सहित शासकीय दफ्तरों में कार्यरत लाखों आउटसोर्स, अस्थाई कामगारों को बढ़ी हुई मजदूरी मिल गई। दस साल बाद मिला न्याय एक माह भी खुशियां नहीं दे सका और श्रम विभाग की अधिसूचना के विरोध में औद्योगिक संगठनों ने कोर्ट में याचिका दायर कर स्टे ले लिया।
नेता कहते हैं कि पूरे प्रदेश के लाखों श्रमिकों, कामगारों की मजदूरी मई 2024 से पुनः कम होकर पुरानी दरों पर आ गई। इस पूरे प्रकरण में राज्य शासन का रवैया श्रमिक विरोधी रहा, जिसने हाईकोर्ट से स्टे हटवाने के गंभीरता से प्रयास नहीं किए और न ही सुप्रीम कोर्ट में स्टे के खिलाफ याचिका लगाई गई। यही नहीं श्रम आयुक्त ने 2014 की दरों से भुगतान करने का आदेश जारी कर श्रमिकों के हितों पर कुठाराघात किया है। न्यूनतम मजदूरी कम करके राज्य सरकार ने मजदूर विरोधी कदम उठाया है। ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी मोर्चा की मांग है कि सरकार इस मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए कोर्ट से स्टे हटवाए और मजदूरी की बढ़ी हुई दरों से एरियर सहित भुगतान के निर्देश दिए जाएं। साथ ही न्यूनतम वेतन से वंचित कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन के दायरे में लाया जाए।
धरने पर ये बैठेंगे
21 नवंबर को श्रमायुक्त कार्यालय इंदौर में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा की अध्यक्षता एवं संगठन के संरक्षक अनिल वाजपेयी, कार्यकारी अध्यक्ष डा. अमित सिंह, चौकीदार संघ के अध्यक्ष राजभान रावत, अंशकालीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष उमाशंकर पाठक, बिजली आउटसोर्स संगठन के महामंत्री दिनेश सिसौदिया, योग प्रशिक्षक संघ की अध्यक्ष गायत्री जायसवाल एवं युवा आउटसोर्स कर्मचारी संघ के महामंत्री आशीष सिसोदिया के नेतृत्व में धरना दिया जाएगा।
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