मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रार्थना को भगवान महाकालेश्वर ने स्वीकार कर लिया है। एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने बारिश के लिए उज्जैन में महाकाल मंदिर में विशेष अनुष्ठान किया था। एक दिन बाद ही मंगलवार को भोपाल समेत ज्यादातर जिलों में तेज बारिश हुई।
मौसम विभाग का कहना है कि लोकल सिस्टम बना हुआ है। मौसम विभाग का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में एक सिस्टम सक्रिय हुआ है। इसका असर एक-दो दिन में दिखेगा। बुधवार से मध्य प्रदेश के ज्यादातर जिलों में मध्यम से तेज बारिश होने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिक जेपी विश्वकर्मा ने बताया कि प्रदेश के कई शहरों में कपासीय बादल बने हैं, जिनके कारण बारिश हो रही है।
भोपाल में पिछले कुछ दिनों से गर्मी हो रही थी। हालांकि, मंगलवार को बारिश से आंशिक राहत मिली है। इससे किसानों को भी राहत मिली है। बारिश नहीं होने से खेतों में खड़ी फसलें सूखने लगी थी। मौसम वैज्ञानिक एसएन साहू ने कहा कि बंगाल की खाड़ी में सिस्टम एक्टिव हो रहा है। इसका असर बुधवार से मध्य प्रदेश में दिखने लगेगा। इससे पूर्वी मध्य प्रदेश के रीवा, शहडोल, जबलपुर और सागर संभाग के जिलों में मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। इसके बाद सिस्टम गुरुवार को पश्चिमी मध्य प्रदेश समेत पूरे प्रदेश में असर दिखाएगा। एक और सिस्टम एक्टिव हो रहा है, जिससे प्रदेश में 14 सितंबर तक बारिश का दौर चल सकता है। सोमवार को खंडवा और सीधी जिले में बारिश दर्ज की गई है।
मध्य प्रदेश में अब तक 662.8 मिमी बारिश हुई है, जबकि सामान्य औसत 816 मिमी बारिश का है। इस तरह करीब 19% कम बारिश हुई है। प्रदेश के 27 जिले रेड जोन में हैं। इनमें भोपाल, ग्वालियर, नीमच, मंदसौर, झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, हरदा, नर्मदापुरम, सीहोर, शाजापुर, आगर-मालवा, राजगढ़, गुना, अशोकनगर, टीकमगढ़, निवाड़ी, छतरपुर, दमोह, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली और बालाघाट शामिल हैं। पांच जिले सतना, खंडवा, खरगोन, अशोकनगर, बड़वानी में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में अच्छी बारिश के लिए सोमवार को भगवान महाकाल की पूजा और महारुद्र अनुष्ठान किया था। मुख्यमंत्री ने जनता से भी प्रदेश में अच्छी बारिश के लिए अपने-अपने गांव में प्रार्थना करने की अपील की।
अगस्त माह में प्रदेश में बारिश ही नहीं हुई। इससे प्रदेश में गर्मी बढ़ने और बारिश का पानी नहीं मिलने से फसले सूख रही हैं। किसान कुओं और ट्यूबवेल से सिंचाई कर रहे हैं। इससे बिजली की मांग भी बढ़ गई है। प्रदेश में 14500 मेगावॉट बिजली की जरूरत है, जबकि 9 हजार मेगावॉट ही उपलब्ध है। इससे बिजली संकट भी बढ़ गया है।
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