श्रद्धांजलि: मध्यप्रदेश की राजनीति और पत्रकारिता की डिक्शनरी जैसे थे मदन मोहन जोशी

मीडिया, वीथिका            May 25, 2015


पत्रकारिता के पुरोधा मदन मोहन जोशीजी का आज निधन हो गया। वरिष्ठ पत्रकार और पुलिस विभाग में जनसम्पर्क अधिकारी रहे श्रीप्रकाश दीक्षित ने साझा किये कुछ यादगार पल.… मैंने जब पत्रकारिता मे प्रवेश किया तब स्वर्गीय जोशीजी इन्फा नामक संवाद एजेंसी के भोपाल प्रतिनिधि थे। स्वर्गीय दुर्गादास की एजेंसी की राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी प्रतिषठा थी। तब नईदुनिया की धाक तेजी से जम रही थी और वह इन्फा के हवाले से जोशीजी का लेख हर हफ्ते छापता था। लेख के शीर्षक के नीचे छपता था इन्फा के प्रादेशिक प्रतिनिधि मदनमोहन जोशी द्वारा। सबको लेख का बेसब्री से इंतजार रहता था। जब नईदुनिया का जलवा और बढ़ा तब उसे भोपाल मे दमदार विशेष प्रतिनिधि की जरूरत महसूस हुई,तब जोशीजी विधिवत समूह का हिस्सा बन गए। इतने वरिषठ होते हुए भी विनोदी स्वभाव उन्हे बेहद सहज बना देता था।पुलिस अफसरों के साथ पत्रकारों की पार्टियों मे वे अपने अनुभवों को किस्सागोई के अंदाज और मज़ाकिया लहजे में कुछ ऐसे पेश करते थे जिससे महफिल ठहाकों से सराबोर हो जाती थी। सब उन्हें पसंद करते थे। वे मध्यप्रदेश की राजनीति और पत्रकारिता की डिक्शनरी जैसे थे। इसलिए मुख्यमंत्री हो , मंत्री हो, या विरोधो दल का नेता सब उनका सम्मान करते थे। जब मैं सीधी में पदस्थ था तब का किस्सा है। मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह जिले का सघन दौरा करते रहते थे। एक बार वे जोशीजी को अपने साथ लाए और एक आयोजन मे उनके साथ पहुंचे। वहाँ जब कुछ अव्यवस्था और शोरगुल नजर आया तब अर्जुनसिंह माइक हाथ मे लेकर नाराजगी से बोले मैं इतने बड़े पत्रकार को लेकर आया हूँ उनके मन पर यहाँ की अफरा-तफरी का क्या प्रभाव पड़ेगा..? ऐसे मे मुझे आगे किसी को सीधी लेकर आने मे शर्म आएगी। ऐसा था जोशीजी का रुतबा । भोपाल का जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र उनके पुरूषार्थ की जीती जागती मिसाल है। इतनी बड़ी संस्था को अकेले अपने दम पर खड़ा करना उनके ही बस की बात थी। निश्चय ही इसमे उनकी जिजीविषा, पत्रकारिता से बने सम्बन्धों और सहज स्वभाव का बड़ा योगदान था जिसने समर्थ लोगों को सहयोग के लिए प्रेरित किया। केवल अपने लिए जीने वालों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।


इस खबर को शेयर करें


Comments