हमें अतीत से जोड़े रखते हैं संग्रहालय

मीडिया            May 18, 2022


मल्हार मीडिया भोपाल।
‘संग्रहालय’ज्ञान के विस्तार का माध्यम तो होते ही हैं, साथ ही यह हमें अतीत से भी जोड़े रखते हैं। इतना ही नहीं यह हमारे आने वाले समय का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।

यह कहना है वस्तुओं के विलक्षण संग्रह के लिए पहचाने जाने वाले छत्तीसगढ़ के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. सुभाष अत्रे का।

वे आज माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्रहालय में ‘दुर्लभ संदर्भ संपदा’ प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए बोल रहे थे।

संग्रहालय में यह प्रदर्शनी अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के निमित्त लगाई गई है। इस अवसर पर मध्यभारत मध्यभारत के पूर्व मुख्यमंत्री गोपीकृष्ण विजयवर्गीय के ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज भी संग्रहालय को सौंपे गए।

यह धरोहर उनके पुत्र अरविंद विजयवर्गीय ने सौंपी है, इस सामग्री को भी प्रदर्शनी में संजोया गया है। अपने उद्बोधन में डॉ. अत्रे ने आगे कहा कि आज लोगों में साहित्य के प्रति रुचि कम होती जा रही है।

इसकी वजह हमारी प्राथमिकताओं में दूसरी चीजों का शामिल हो जाना है। आज बड़े मॉल-टॉकीज में घूमना हमारा शगल हो गया है।

इससे नई पीढ़ी हमारी इन अमूल्य धरोहरों को समझ नहीं पा रही है। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को सप्रे संग्रहालय जैसे स्थलों का भ्रमण करायें ताकि वे हमारे इतिहास को जान सके।

उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में 55 हजार संग्रहालय हैं इनमें से 35 हजार अकेले अमेरिका में है। जाहिर है वहां चीजों को सहेजने का प्रचलन ज्यादा है।

इस अवसर पर संग्रहालय के संस्थापक निदेशक विजयदत्त श्रीधर ने बताया कि संग्रहालय के पास एक हजार हस्तलिखित पांडुलिपियां, 500 के करीब पोथियां, 10 हजार चि_ियां, 30 हजार शीर्षक समाचार पत्र, पत्रिकाएं हैं।

इनका उपयोग अब तक सैकड़ों शोधार्थी कर चुके हैं। विदेशों तक से आकर यहां लोगों ने शोध किए हैं।

इसी क्रम में उन्होंने जापान की एक शोधार्थी के बारे में बताया कि भारत आने पर जब उसे संग्रहालय के बारे में पता चला तो वे अपनी जापान की फ्लाइट छोडकऱ भोपाल आ गईं और यहां की सामग्री का अपने शोधकार्य में उपयोग किया। कार्यक्रम का संचालन निदेशक मंगला अनुजा ने किया।

इस अवसर पर अरविंद विजयवर्गीय ने अपने पिता के व्यक्तिव के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पिताजी को पढऩे और लिखने का शौक था।

वे हर कागज को करीने से संभाल कर रखते थे, उनकी सामग्री दुर्लभ है। इसलिए यहां सौंपी गई है।

कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक, राकेश दीक्षित, साहित्य अकादमी के पूर्व कार्यक्रम अधिकारी आनंद सिन्हा,डॉ. रत्नेश, विजयवर्गीय परिवार के सदस्य तथा पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्र मौजूद रहे।

‘दुर्लभ संदर्भ संपदा’ प्रदर्शनी में संग्रहालय में अब तक सहेजी गई अद्भुत सामग्री को संजोया गया है। इनमें विश्व की सबसे छोटी गीता है तो सबसे बड़े अखबार की प्रति भी है। सबसे छोटी गीता का आकार ।

4.5 इंच 6 से. मी. का है। इसी तरह 11. 7 से.मी. का सबसे छोटा अखबार देखने लायक है। वहीं, 80. 55 से. मी. का सबसे बड़ा अखबार भी दर्शकों को अपनी ओर खींचता है। कभी बर्रू की घास के लिए मशहूर रहे भोपाल की इसी घास से बनी बर्रू कलम , कांसे की दवात भी यहां देखी जा सकती है।

इसके अलावा बाँग्ला मुक्ति संग्राम में प्रयुक्त बम का डिब्बा भी है जो दर्शकों को घटना की याद दिलाकर रोमांचित कर देता है।

संग्रहालय का एक और खास आकर्षण है छोटी सी ‘मधुशाला’ इसका आकार महज 12.8 सेमी है। इसमें रचनाकार के नाम की जगह ‘एक विभूति’ लिखा हुआ है।

लेकिन इसकी शैली और छंट का मीटर बिल्कुल डॉ. हरिवंश राय बच्चन की ‘मधुशाला’ तरह ही है। इसका प्रकाशन वर्ष 1936 में गौड़ पुस्तक भंडार कटरा से हुआ है। इसकी कीमत मात्र 25 पैसे है।

नुमाया हो रहे ऐतिहासिक दस्तावेज
संग्रहालय की धरोहर में आज एक और नया आयाम जुड़ा है। आज ही मध्यभारत के पूर्व मुख्यमंत्री गोपीकृष्ण विजयवर्गीय के ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज प्राप्त हुए हैं। इन्हें भी प्रदर्शनी में संजोया गया है। इनमें महात्मा गांधी सहित तत्कालीन समय के वरिष्ठ राजनेताओं के साथ हुआ पत्राचार, कई संदर्भ पुस्तकें तथा पत्रिकाएं।

विजयवर्गीय जी के पुत्र ने बताया कि उनके पिता को डायरी लिखने का बहुत शौक था। उनके द्वारा करीब 6 दशकों तक लिखी गई डायरियां यहां रखी गईं हैं।

इसके अलावा उस समय के प्रमुख छायाचित्र आदि हैं। मालूम हो कि विजयवर्गीय जी मध्यभारत प्रांत में पहले मंत्री रहे उसके बाद मुख्यमंत्री रहे। वे संविधान सभा के सदस्य भी थे।

प्रदर्शनी में एक काउंटर ऐसा भी है जहां नन्हे-मुन्ने संग्राहकों द्वारा संग्रहित सामग्री भी सजाई गई है। श्रीधर परिवार के बच्चे अदिति और आदित्य ने पुराने समय के सिक्के और डाक टिकट संकलित किए हैं। इन्हें यहां सजाया गया है।

इसके साथ ही कलम-दवात है तो पुराने जमाने का टेलीफोन इन बच्चों ने संभाल कर रखा है। अपने विशेष आकार के चलते यह टेलीफोन दर्शकों को लुभा तो रहा है साथ ही मोबाइल दौर के लोगों को आश्चर्यचकित भी कर रहा है।

 



इस खबर को शेयर करें


Comments