मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाय. चंद्रचूड़ की यह टिप्पणी विशुद्ध पत्रकारों के लिए हौसला अफजाई वाली हो सकती है कि पत्रकारों को खबर लिखने से न रोका जाए।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ ने एक फैसले में उत्तर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता द्वारा एक पत्रकार को सरकार के खिलाफ भविष्य में न लिखने के शर्त के साथ जमानत देने का अनुरोध किया था।
जिस पर डी.वाय. चंद्रचूड़ ने पत्रकारों को कुछ कहने या लिखने से नहीं रोकने की व्यवस्था देते हुए कहा कि यह बिल्कुल वैसा होगा कि हम एक वकील से यह कहें कि आप को बहस नहीं करनी चाहिए।
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट इंडिया एवं इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन इकाई सिवनी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ को पूरे देश के पत्रकार संगठनों की ओर से धन्यवाद प्रेषित किया है।
धन्यवाद पत्र में कहा गया है पत्रकार को देश का चौथा स्तंभ माना जाता है और वह हमेशा देश को मजबूत करने और स्वस्थ समाज की परिकल्पना की आवाज को अपनी लेखनी से उजागर करता है।
इसलिए उसके स्वस्थ लेखन पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक ना लगाकर देश के प्रशासनिक अधिकारियों को संदेश दिया है।
इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के सचिव/मीडिया प्रभारी जर्नलिस्ट जितेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि यूनियन के सदस्यों एवं अनेक पत्रकारों ने माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि जिस तरह न्यायालय में वकील को बहस करने से रोका नहीं जा सकता उसी तरह पत्रकार को खबर लिखने से रोका नहीं जा सकता सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय लोकतंत्र को मजबूत करने का स्तंभ है।
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