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दिल्ली में पहली बार याद किए गए कर्मयोगी पं. माधवराव सप्रे

मीडिया            Jun 20, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली/भोपाल।
आजादी के 70 साल बाद यह पहला अवसर था,जब देश की राजधानी दिल्ली में कर्मयोगी पं. माधवराव सप्रे के महान अवदान का स्मरण करते हुए उन्हें श्रृद्धा सुमन अर्पित किए गए। यह दुर्लभ अवसर साहित्य अकादेमी दिल्ली की ओर से माधवराव सप्रे पर केन्द्रित पुस्तकमाधवराव सप्रे रचना-संचयन के लोकार्पण के निमित्त जुटाया गया था। अकादेमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक का संपादन वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर ने किया है। पुस्तक का विमोचन सप्रे जयंती 19 जून को अकादेमी के सभागार में समारोह पूर्वक किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र एवं विशिष्ट अतिथि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. सच्चिदानंद जोशी थे। जबकि अध्यक्षता साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ तिवारी कर रहे थे।

इस अवसर पर संचयन के संपादक विजयदत्त श्रीधर ने सप्रे जी के समग्र अवदान का विवरण दिया। उन्होंने बताया कि प्रखर संपादक के रूप में सप्रे जी की भूमिका लोक प्रहरी की रही है। वहीं सुधि साहित्यकार के रूप में वे लोक शिक्षक थे। कोशकार और अनुवादक के रूप में उन्होंने हिंदी भाषा को समृद्ध किया है।

मुख्य अतिथि पं. अच्युतानंद मिश्र ने कहा कि माधवराव सप्रे का दौर नैतिकता के सबसे उजले स्तर का दौर था। देश और राष्ट्रभाषा हिंदी के विकास के लिए सभी एकजुट थे और नए से नए माध्यमों एवं व्यक्तियों की खोज निरंतर जारी थी। माधवराव सप्रे ने भी माखनलाल चतुर्वेदी, सेठ गोविंद दास और द्वारिका प्रसाद मिश्र जैसी उत्कृष्ट प्रतिभाओं को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ाया। उस समय के अधिकतर साहित्यकार पत्रकारिता और संपादन से जुड़े थे तो कई संपादक श्रेष्ठतम् साहित्य की रचना कर रहे थे। माधवराव सप्रे जी का नाम भी इस कड़ी में सम्मान के साथ लिया जा सकता है।

विशिष्ट अतिथि डा. सच्चिदानंद जोशी ने माधवराव सप्रे के अनुवाद साहित्य और उनके द्वारा निर्मित विभिन्न संस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने उनके सांस्कृतिक चिंतन की विविधता को भी रेखांकित किया। उन्होंने विजयदत्त श्रीधर और उनके द्वारा संस्थापित माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान को बधाई देते हुए कहा कि उन्हीं के प्रयासों से माधवराव सप्रे के कार्य एवं उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों को आज का साहित्य समाज समझ पा रहा है।

साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष डा. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि माधवराव सप्रे भारतीय नवजागरण के पुरोध संपादक, साहित्यकार रहे है। वे कवि, कुशल निबंधकार, प्रखर चिंतक, अप्रतिम वक्ता और दृढ़ स्वतंत्रता सेनानी के रूप में प्रतिष्ठित हुए। साहित्य अकादेमी को उनके रचना-संचयन को प्रकाशित करने पर अत्यधिक हर्ष है। साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि ''साहित्य अकादेमी श्रेष्ठतम साहित्य को प्रकाशित करने के लिए प्रतिबद्ध है और भारतीय साहित्य के विकास में जिन लोगों की भी भूमिका महत्त्वपूर्ण है उनकी रचनाओं को प्रकाशित करना अकादेमी के लिए हमेशा हर्ष का विषय होता है।

कार्यक्रम में दिल्ली के प्रतिष्ठित संपादक, प्रकाशक एवं साहित्यकार सर्वश्री रामबहादुर राय, जगदीश उपासने,वीरेन्द्र त्रिपाठी,बलराम,आलोक मेहता, कमल किशोर गोयनका, विमल कुमार, कुमुद शर्मा, भारतेंदु मिश्र, प्रभात कुमार, महेश भारद्वाज, प्रांजल धर, संत समीर,अरुण तिवारी,प्रदीप चतुर्वेदी,कुमार अनुपम, उमेश चतुर्वेदी समेत प्रबुद्ध श्रोतागण भारी संख्या में उपस्थित थे।

 



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