मल्हार मीडिया भोपाल।
आखिर को मल्हार मीडिया की पहल रंग लाई। मध्यप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून की घोषणा सरकार की तरफ से कर दी गई।
हर मंच से लगातार यह आवाज उठाता रहा है और मांग करता रहा है कि पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाए इस पर सरकारें विचार करें।
पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों और उनकी हत्याओं के कारण इस तथ्य पर गौर करना आवश्यक हो गया है कि पत्रकारों को भी सुरक्षा की जरूरत है।
आखिर को मध्यप्रदेश की नवनिर्वाचित सरकार ने इस पर गौर किया और विधि-विधायी मंत्री पीसी शर्मा ने मध्यप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की घोषणा कर दी।
अब केंद्र सरकार इसे करे या न करे पहल हुई और शुरूआत हुई ये बड़ी बात है। इसके पहले छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की घोषणा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कर चुके हैं।
विधि—विधायी कार्य मंत्री पीसी शर्मा ने आज कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए राज्य में पत्रकार सुरक्षा अधिनियम लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा, पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सरकार वचनबद्ध है, लिहाजा पत्रकार प्रोटेक्शन अधिनियम लागू किया जाएगा।
पत्रकार सुरक्षा कानून के सवाल पर बोले आजाद, जितने आप बेचारे उतने बेचारे हम
मल्हार मीडिया के पाठकों को याद दिला दें कि 4 नवंबर को भोपाल आये पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद से सवाल किया था कि क्या कांग्रेस सरकार में आने के बाद पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करेगी? तब उनका जवाब था यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिये इंशाअल्ला हम यह करेंगे।
इसके अलावा उन्होंने महिलाओं और बालिकाओं पर होने वाले अत्याचार के मामलों पर कहा, इन मामलों को फास्ट ट्रैक अदालत के माध्यम से निपटाया जाएगा ताकि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।”
इसके साथ ही मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकताओं पर लगाये गये मुकदमे भी हटाये जायेंगे।
गौरतलब है कि लंबी खींचतान के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी मंत्रियों को उनके विभाग सौंपे हैं।
ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ‘पत्रकार सुरक्षा कानून’ बनाने का निर्देश दे चुके हैं। भूपेश बघेल ने सीएम का कार्यभार संभालने के तीसरे दिन ही इस कानून का प्रारूप बनाने के निर्देश जारी कर दिए थे।
छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य होगा जिसने कानून बनाकर पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कार्रवाई शुरू की है।
बघेल ने निर्देश देते हुए कहा था कि कई राज्यों में पत्रकार सुरक्षा के प्रावधानों का अध्ययन करने के साथ ही पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, विधि विशेषज्ञों आदि से सलाह कर इस कानून का एक प्रारूप शीघ्र उनके समक्ष प्रस्तुत किया जाए।
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