मल्हार मीडिया ब्यूरो।
दिल्ली की स्थानीय अदालत ने गुरुवार को 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। विशेष न्यायाधीश ओ.पी.सैनी ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी सहित सभी आरोपियों को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर दोनों मामलों में बरी कर दिया।
कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान 2008 में दूरसंचार विभाग द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन में कथित तौर पर अनिमितता हुई थी, जिसका 2010 में कैग की रिपोर्ट के बाद व्यापक स्तर पर खुलासा हुआ।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के मामले के 17 आरोपियों में 14 व्यक्ति और तीन कंपनियां (रिलायंस टेलिकॉम, स्वान टेलिकॉम, यूनिटेक) शामिल थीं।
गौरतलब है कि 2जी घोटाला साल 2010 में सामने आया जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक (कैग) ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए थे।
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें भारत के महालेखाकार और नियंत्रक के अनुसार सरकारी खजाने को अनुमानित एक लाख 76 हजार करोड़ रुपयों का नुक़सान हुआ था।
हालांकि सीबीआई ने जो आरोप दाख़िल किया था उसमें लगभग 30 हज़ार करोड़ के नुकसान की बात कही थी।
आरोप था कि अगर लाइसेंस नीलामी के आधार पर दिए जाते तो ख़जाने को कम से कम एक लाख 76 हज़ार करोड़ रुपए और हासिल हो सकते थे। हालांकि महालेखाकार के नुक़सान के आंकड़ों पर कई तरह के आरोप थे, लेकिन ये एक बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया था और मामले पर देश के सर्वोच्च न्यायालय में याचिका भी दाखिल की गई थी।
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