मल्हार मीडिया ब्यूरो।
जोधपुर की अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अदालत ने स्वघोषित आध्यात्मिक गुरू आसाराम बापू के खिलाफ वर्ष 2013 में राजस्थान स्थित उनके आश्रम में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में फैसला एससी/एसटी मामलों के विशेष न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने जोधपुर सेंट्रल जेल में सुनाया। आसाराम इसी जेल में बंद है।
स्वयंभू संत आसाराम बापू के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगने के पांच साल बाद जोधपुर की अनुसूचित जाति (एस सी)व अनुसूचित जनजाति (एसटी) अदालत ने 2013 के इस मामले में बुधवार को उन्हें दोषी करार दिया।
आसाराम को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 और यौन अपराध बाल संरक्षण अधिनियम (पोस्को) और किशोर न्याय अधिनियम (जेजे) के तहत दोषी ठहराया गया।
पुलिस द्वारा छह नवंबर 2013 को पोस्को अधिनियम , किशोर न्याय अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आसाराम और चार अन्य सह- आरोपियों शिल्पी, शरद, शिवा और प्रकाश के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
जानकार सूत्रों ने बताया कि अदालत ने शिल्पी (आश्रम की वॉर्डन) और शरद को भी दोषी ठहराया है, जबकि शिवा और प्रकाश को इस मामले में बरी कर दिया गया है।
विशेष न्यायाधीश शर्मा द्वारा जोधपुर की अदालत में सात अप्रैल को इस मामले में अंतिम बहस पूरी की गई थी।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक किशोरी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद 2013 में आसाराम को गिरफ्तार किया गया था। किशोरी ने उन पर जोधपुर आश्रम में उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। पीड़िता मध्य प्रदेश के उनके छिंदवाड़ा आश्रम में 12वीं कक्षा की छात्रा थी।
आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार कर जोधपुर लाया गया था। तब से वह जोधपुर केंद्रीय कारागार में बंद हैं।
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।
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