मल्हार मीडिया डेस्क।
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अंतर्गत आने वाली विभिन्न फोर्सेज जैसे बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी और एसएसबी का गठन व उनकी 'नेचर ऑफ ड्यूटी' भले ही अलग रहे, मगर अब इन बलों के जवानों के लिए 'दारू' साझा रहेगी। यह सुविधा, केंद्रीकृत लॉग प्रबंधन समाधान (सीएलएमएस) के द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। खास बात है कि इस सुविधा के दायरे में न केवल सर्विंग पर्सनल, बल्कि उक्त बलों के रिटायर्ड कर्मी भी आएंगे।
जून माह तक सीआरपीएफ, बीएसएफ आईटीबीपी व सशस्त्र सीमा बल के 'सीएलएमएस' एप को एकीकृत किए जाने की सम्भावना है। इसके बाद किसी भी फोर्स का जवान अपने निकटवर्ती बल की कैंटीन से तय शराब की मात्रा ले सकता है। आईटीबीपी डीजी राहुल रसगोत्रा ने 'अलाइंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन' को यह भरोसा दिया है कि 'सीएलएमएस' एप को एकीकृत करने का काम चल रहा है। इस साल जून तक यह काम पूरा हो जाएगा।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक, केंद्रीय बलों में मदिरा आवंटन के संबंध में सीएलएमएस एप को एकीकृत करने की जिम्मेदारी आईटीबीपी को सौंपी गई है। देश के सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में आईटीबीपी एक मात्र ऐसा बल है, जिसने सबसे पहले अपने मौजूदा और पूर्व कर्मियों को तय कोटे के अनुसार शराब उपलब्ध कराने के लिए 'ऑनलाइन शराब आपूर्ति प्रणाली' शुरु की थी। इसकी प्रणाली की शुरुआत 2020 में हो गई थी। हालांकि, उसी वर्ष आईटीबीपी ने अपनी कैंटीन में अर्धसैनिक बलों के रिटायर्ड कर्मियों को मिलने वाली शराब पर रोक लगा दी थी।
उससे पहले की व्यवस्था में बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और सीआईएसएफ के पूर्व कर्मचारी किसी भी बल की कैंटीन से शराब ले सकते थे। एसोसिएशन ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था। आईटीबीपी ने अपनी सभी कैंटीन को ये आदेश जारी किया था कि वहां पर केंद्रीय अर्धसैनिक बल के किसी भी सेवानिवृत्त व्यक्ति को शराब न दी जाए।
अगर दूसरे बलों के पूर्व कर्मियों को आईटीबीपी की कैंटीन से शराब लेनी है तो उन्हें वेलफेयर एंड रिहेबिलिटेशन बोर्ड 'वार्ब' के माध्यम से शराब जारी करने का आग्रह पत्र लेना होगा। दूसरा, विकल्प ये प्रदान किया गया था कि रिटायर्ड कर्मी जिस बल से सेवानिवृत हुए हैं, वहां पर आईटीबीपी कैंटीन की सुविधा लेने के लिए आग्रह किया जाए। हालांकि आईटीबीपी कर्मी इस व्यवस्था के दायरे से बाहर रखे गए थे।
एसोसिएशन के चेयरमैन एवं पूर्व एडीजी एचआर सिंह व महासचिव रणबीर सिंह के मुताबिक, कोई भी जवान या पूर्व कर्मी, किसी भी सीएपीएफ कैंटीन से मदिरा ले सके, इसके लिए भी लंबा संघर्ष करना पड़ा है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, गृह सचिव, डीजी आईटीबीपी व डीजी बीएसएफ/वार्ब चेयरमैन से मुलाकात कर सीएलएमएस एप के तहत मिलने वाली मदिरा सुविधा को एकीकृत करने की मांग की जाती रही है। इसमें न केवल सर्विंग पर्सनल, बल्कि रिटायर्ड पर्सन को भी उक्त सुविधा के दायरे में लाया जाए।
सीएपीएफ का सेवारत एवं सेवानिवृत्त सदस्य, किसी भी अन्य फोर्सेस की नजदीकी कैंटीन से मदिरा सुविधा का लाभ उठा सके, यह मांग लगातार की जाती रही है। अब आईटीबीपी महानिदेशालय द्वारा दस जनवरी को एसोसिएशन को भेजे ईमेल में यह सूचना दी गई है कि 12 जून 2025 तक सीआरपीएफ, बीएसएफ आईटीबीपी व सशस्त्र सीमा बल के 'सीएलएमएस' एप को एकीकृत कर दिए जाने की सम्भावना है।
एसोसिएशन के मुताबिक, वर्तमान समय में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के सीएलएमएस वेब एप्लीकेशन को आपस में एकीकृत करने का कार्य प्रगति पर है। सीएपीएफ के तहत आने वाले केंद्रीय बलों ने अभी तक अपने सेवानिवृत्त कर्मियों का डाटा उपलब्ध नहीं कराया है, इसके चलते सभी केंद्रीय सुरक्षा बलों के सीएलएमएस एप को यूनिफाइड करने में देरी हो रही है। एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं पूर्व एडीजी सीआरपीएफ एचआर सिंह के नेतृत्व में गत वर्ष 5 सितम्बर को डीजी आईटीबीपी राहुल रसगोत्रा व 18 सितंबर को डीजी बीएसएफ/वार्ब चेयरमैन दलजीत सिंह चौधरी के साथ बैठक हुई थी।
बैठक में यह मांग की गई थी कि सीएलएमएस एप को जल्द से जल्द एकीकृत किया जाए। सही मायनों में जवानों को तभी फायदा होगा, जब किसी भी फोर्स का जवान किसी भी बल की नजदीकी कैंटीन से मदिरा सुविधा का लाभ उठा सके। एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह का कहना है कि सीआईएसएफ भी केंद्रीय सुरक्षा बलों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। सीआईएसएफ जवानों को मदिरा सुविधा का लाभ नहीं दिया जा रहा।
बता दें कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआईएसएफ' में तय कोटे के अनुसार 'शराब' जारी करने के लिए कई बार आग्रह किया गया है। सेना के जवानों के लिए शराब का एक कोटा रहता है। दूसरे केंद्रीय बलों के जवानों को केंद्रीकृत लॉग प्रबंधन समाधान (सीएलएमएस) सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
सीआईएसएफ में यह सुविधा प्रदान नहीं की जा रही। इसके पीछे, बल की ड्यूटी का 'अति संवेदनशील' होना बताया गया है। एसोसिएशन के महासचिव का कहना था कि ये तो सीआईएसएफ जवानों के साथ सौतेला व्यवहार है। संवेदनशील ड्यूटी तो सेना और दूसरे अर्धसैनिक बल भी करते हैं, लेकिन उन्हें तो 'मदिरा' सुविधा मिल रही है। देश के सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में केंद्रीकृत लॉग प्रबंधन समाधान (सीएलएमएस) सुविधा प्रदान की गई है। इसका मकसद, सेवारत एवं सेवानिवृत्त जवानों को सस्ते दामों पर मदिरा सुविधा मुहैया कराना है।
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों को उपरोक्त सीएलएमएस सुविधा से वंचित रखा गया है। सीआईएसएफ महानिदेशालय द्वारा इसके पीछे जो वजह बताई गई है, वह इस बल के जवानों द्वारा अति संवेदनशील जगहों पर ड्यूटी को अंजाम देना है। महानिदेशालय द्वारा एसोसिएशन को कई दूसरे प्रशासनिक कारणों का भी हवाला दिया गया था।
एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व एडीजी एचआर सिंह के नेतृत्व में इस बाबत शीर्ष अफसरों से आग्रह किया था। तब यह मांग की गई थी कि कम से कम रिटायर्ड कर्मियों को ही सीएलएमएस सुविधा उपलब्ध करा दी जाए। जवानों को सीएलएमएस सुविधा उपलब्ध मुहैया न कराने से करोड़ों रुपए के जीएसटी की भी हानि हो रही है।
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