मल्हार मीडिया ब्यूरो।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के अभियान को एक बड़ी जीत उस वक्त मिली जब सोमवार को ब्रिक्स देशों ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों का नाम अपने घोषणापत्र में शामिल किया और इनसे तथा इनके जैसे तमाम आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।
ऐसा कहा जाता है कि गोवा में बीते साल हुए आठवें ब्रिक्स सम्मेलन में चीन ने घोषणापत्र में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों को शामिल करने का विरोध किया था।
शियामेन घोषणापत्र में कहा गया है, "हम क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर और तालिबान, इस्लामिक स्टेट (आईएस), अलकायदा और इसके संबद्ध संगठन ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, टीटीपी और हिज्बुल-तहरीर द्वारा की गई हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हैं।"
जेईएम प्रमुख मसूद अजहर को भारतीय सेना के प्रतिष्ठानों पर घातक सीमापार हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। भारत ने अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का रुख किया था लेकिन चीन ने बार-बार इस प्रस्ताव की राह में रोड़ा अटकाया है।
2008 के मुंबई आतंकी हमलों के लिए लश्कर ए तैयबा जिम्मेदार है। इसमें 166 भारतीयों और विदेशी नागरिकों की मौत हो गई थी।
शियामेन घोषणापत्र में ब्रिक्स देशों सहित दुनियाभर में हुए सभी आतंकवादी हमलों की निंदा की गई है।
घोषणापत्र में कहा गया, "आतंकवाद की सभी रूपों में निंदा की जाती है। आतंकवाद के किसी भी कृत्य का कोई औचित्य नहीं है।"
ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं।
ब्रिक्स देशों का कहना है कि आतंकवाद करने वाले और इसमें सहयोग देने वालों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
घोषणापत्र में आतकंवाद को रोकने और इससे निपटने के लिए देशों की प्राथमिक भूमिका और जिम्मेदारी को रेखांकित करते हुए जोर दिया गया कि देशों की संप्रभुता और उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का सम्मान करते हुए आतंक के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।
घोषणापत्र में कहा गया है, "हम आतंकवादी हमलों की निंदा करते हैं, जिस वजह से निर्दोष अफगान नागरिकों की मौत हुई है। इस हिंसा को तत्काल खत्म करने की जरूरत है। हम अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के तहत अफगानिस्तान में शांति की बहाली और राष्ट्रीय सुलह के लिए लोगों को सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताते है। हम आतंकवादी संगठनों से निपटने के लिए अफगान सुरक्षाबलों के प्रयासों का समर्थन करते हैं।"
घोषणापत्र में कहा गया, "हम सभी देशों से आतंकवाद से निपटने, कट्टरपंथ का खात्मा करने, आतंकवादी संगठनों में भर्तियों (विदेशी लड़ाकों सहित) को रोकने, आतंकवाद का वित्तपोषण बंद करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हैं। इनमें धनशोधन, हथियारों की आपूर्ति, नशीले पदार्थो की तस्करी और अन्य आपराधिक गतिविधियां रोकने, आतंकवादी अड्डों को ध्वस्त करना, आतंकवादियों द्वारा नवीनतम सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकियों (आईसीटी) के जरिए सोशल मीडिया सहित इंटरनेट का दुरुपयोग रोकना शामिल हैं।"
घोषणापत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से व्यापक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी गठबंधन की स्थापना करने और इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र की समन्वयक की भूमिका के लिए समर्थन जताने का आह्वान किया गया है।
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