मल्हार मीडिया ब्यूरो।
कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू द्वारा खारिज किए जाने के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपने दो सांसदों की ओर से दायर याचिका वापस ले ली। न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सांसदों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को नायडू के आदेश पर चुनौती देने वाले मुख्य मुद्दे पर बहस करने के लिए कहा, जिसके बाद सिब्बल ने याचिका वापस ले ली।
पीठ ने सिब्बल की उस याचिका को मंजूरी नहीं दी, जिसमें उन्होंने पीठ गठित करने के लिए दिए गए प्रशासनिक आदेश की प्रति देने का अनुरोध किया था।
राज्यसभा के सांसद प्रताप सिंह बाजवा और अमी याज्ञनिक ने प्रधान न्यायाधीश मिश्रा को हटाने के महाभियोग प्रस्ताव को नायडू द्वारा खारिज किए जाने के निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था।
न्यायमूर्ति सीकरी ने सिब्बल से पूछा, "आप किस उद्देश्य के लिए (पांच सदस्यीय पीठ गठित करने के प्रशासनिक आदेश) को चुनौती देना चाहते हैं।"
जिसके बाद सिब्बल ने कहा, "आपको अवश्य बताना चाहिए कि किसने यह आदेश पारित किया है। मेरे पास इस संबंध में प्रति होनी चाहिए, ताकि मैं इसे चुनौती दे सकूं।"
सिब्बल ने कहा कि मामले को सिर्फ न्यायिक आदेश के जरिए ही संविधान पीठ के पास भेजा जा सकता है और उन्होंने आश्चर्य जताया कि यह किसी प्रशासनिक आदेश के जरिए कैसे किया जा सकता है।
इस पर न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने पूछा कि क्या पत्र प्रक्रिया के जरिए मामले को किसी पांच सदस्यीय पीठ के पास सीधे भेजने पर कोई प्रतिबंध है?
न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति एन.वी. रमण, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने सिब्बल को याद दिलाया कि मामले की सुनवाई के प्रारंभ में उन्होंने कहा था कि उनका कोई निजी एजेंडा नहीं है और वह न्यायालय की गरिमा बरकरार रखने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
सिब्बल ने हस्तक्षेप किया, "अगर आप मुझे (पांच सदस्यीय पीठ गठित करने के) उस (प्रशासनिक) आदेश की प्रति दे देंगे, तो क्या न्यायालय की गरिमा पर गिर जाएगी। यह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कोई गोपनीय दस्तावेज नहीं है।"
राज्यसभा के सभापति की ओर से पेश महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश के पास प्रशासनिक स्तर पर मामले को किसी भी पीठ को आवंटित करने के संबंध में विवेकाधीन शक्तियां होती हैं।
दो कांग्रेस सांसदों द्वारा याचिका के औचित्य पर प्रश्न करते हुए वेणुगोपाल ने कहा, "प्रधान न्यायाधीश को हटाने का नोटिस कांग्रेस समेत सात राजनीतिक पार्टियों ने दिया था, लेकिन 23 अप्रैल को दिए आदेश को चुनौती देने के लिए केवल दो हस्ताक्षरकर्ता न्यायालय पहुंचे हैं।"
महान्यायादी ने कहा कि 64 सांसदों में से 50 सांसदों को, जिन्होंने इस संबंध में नोटिस दिया था, अदालत आना चाहिए।
वेणुगोपाल के बयान पर निशाना साधते हुए सिब्बल ने कहा कि क्यों दो व्यक्ति निर्णय को चुनौती नहीं दे सकते और उनसे पूछा कि क्या बाकी 62 सांसदों ने उनसे कहा है कि वे बाजवा और याज्ञनिक को समर्थन नहीं करते हैं।
सिब्बल ने वेणुगोपाल से कहा, "मैं आपको संतुष्ट करूंगा। मैं यहां 60 सांसदों को लाऊंगा। आप संतुष्ट हो जाएंगे।"
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