मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) को हदिया मामले में किसी भी आपराधिक पहलू की जांच करने की इजाजत दे दी, लेकिन साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि उसके विवाह के संबंध में कोई जांच नहीं होगी। हिंदू महिला हदिया ने अपना धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल कर लिया था और उसने शफीन जहां से शादी कर ली थी। विवाह से आपराधिक पहलू को अलग किए जाने को ध्यान में रखते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, "..नहीं तो हम कानून में एक बुरी मिसाल पेश कर देंगे।"
पीठ ने कहा, "हम विवाह में दखल नहीं दे सकते, चाहे उसने जिस भी व्यक्ति से शादी की है, वह बुरा व्यक्ति हो या अच्छा व्यक्ति। हदिया 24 वर्ष की है और उसने स्वतंत्र रूप से निर्णय लिया और विवाह किया है।"
सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि एनआईए को हदिया के शफीन जहां से विवाह मामले से दूर रहना होगा। साथ ही न्यायालय ने कहा कि एजेंसी 'उसकी शादी को छोड़ कर सभी पहलुओं की जांच कर सकती है।'
इस मामले में इससे पहले की सुनवाई के दौरान, हदिया को मुक्त कराकर उसकी पढ़ाई जारी रखने की इजाजत दी गई थी। हादिया ने अदालत से कहा था कि वह तमिलनाडु के सेलम में शिवाराज होम्योपैथिक कॉलेज में अपनी इंटर्नशिप पूरी करना चाहती है।
न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई अब 22 फरवरी को करेगा। अगली सुनवाई में हदिया के शफीन जहां से विवाह को रद्द करने के केरल उच्च न्यायालय के फैसले की समीक्षा की जाएगी।
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