मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारतीय निर्वाचन आयोग ने इलेक्शन बॉन्ड को लेकर एसबीआई की तरफ से मिले डाटा को समय सीमा से एक दिन पहले गुरुवार 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है.
चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से 15 मार्च को शाम 5 बजे से पहले विवरण प्रकाशित करने का निर्देश मिला था. वहीं, एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए 12 मार्च को चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड से संबंधित डेटा प्रदान किया था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 11 मार्च को भारतीय स्टेट बैंक की उस अर्जी को खारिज कर दिया था जिसमें भुनाए गए चुनावी बांड का ब्योरा सार्वजनिक करने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगी गई थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच ने बैंक के आवेदन को खारिज कर दिया था.
एसबीआई और चुनाव आयोग से क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, बेंच ने एसबीआई को मंगलवार, 12 मार्च को कामकाजी घंटों की समाप्ति तक जानकारी का खुलासा करने का आदेश दिया था. पांच न्यायाधीशों की बेंच (जिसमें सीजेआई के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे) ने कहा था, ''हम भारत के चुनाव आयोग को निर्देश देते हैं कि वह एसबीआई से जानकारी हासिल कर 15 मार्च को शाम 5 बजे से पहले अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर विवरण प्रकाशित करेगा.''
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को ठहराया था असंवैधानिक
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक ठहरा दिया था और एसबीआई को मामले का खुलासा करने का आदेश दिया था. चार मार्च को सुप्रीम कोर्ट में दायर एक आवेदन में एसबीआई ने कहा कि चुनावी बांड की डिकोडिंग और दानकर्ता का दान से मिलान करने में समय लगेगा. यह काम तीन सप्ताह की समय-सीमा में पूरा नहीं हो पाएगा.
15 फरवरी को दिए गए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना, 2018 को असंवैधानिक करार दिया था और एसबीआई को तुरंत इन्हें जारी करने से रोकने का आदेश दिया था.
किस बारे में है डेटा?
बता दें कि राजनीतिक दलों को फंडिंग करने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड लाया गया था. किसी राजनीतिक दल ने कितने का इलेक्टरल बॉन्ड कैश करवाया, इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए किस कंपनी ने कितना धन दिया, इस तरह की जानकारी डेटा में दी गई है.
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