मल्हार मीडिया ब्यूरो।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने देशद्रोह कानून पर लॉ कमीशन की रिपोर्ट का स्वागत किया है। उन्होंने शुक्रवार 2 जून को ट्वीट कर कहा "देशद्रोह पर लॉ कमीशन की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर विचार-विमर्श के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा।
सरकार को अब रिपोर्ट मिल गई है तो सभी हितधारकों के साथ बातचीत के बाद जनहित में निर्णय लेंगे।"
उन्होंने कहा, "रिपोर्ट में की गई सिफारिशें मददगार हैं लेकिन हम इसे लागू करने के लिए बाध्यकारी नहीं हैं।"
वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने लॉ कमीशन की रिपोर्ट पर कहा कि देशद्रोह मामलों पर आयोग की सिफारिशों से देश में बवाल बढ़ेगा. अब कोई कैसे आवाज उठाएगा और सवाल करेगा।
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "चुनाव नजदीक देखकर विपक्ष को और प्रताड़ित किया जाएगा। कोई भी ऐसा सुरक्षा चक्र नहीं दिया गया है जिससे इसके दुरुपयोग को रोका जा सके।"
उन्होंने कहा, ''मोदी सरकार आने के बाद से 2020 तक राजद्रोह के मामलों में करीब 30% की वृद्धि हुई है। कोरोनाकाल में ऑक्सीजन व अन्य समस्याओं के विरोध के मामले में 12 केस दर्ज हुए।
21 केस पत्रकारों के खिलाफ दर्ज हुए हैं. 27 केस CAA-NRC के मुद्दे से जुड़े हैं. वहीं, UP में इन मामलों की 60% जमानत याचिकाएं निरस्त होती हैं।''
दरअसल, लॉ कमीशन ने देशद्रोह कानून पर गुरुवार (1 जून) को केंद्र को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें ये कहा गया है कि इस कानून को कुछ बदलाव के साथ बरकरार रखा जाना चाहिए।
इसको निरस्त करने से देश की अखंडता और सुरक्षा पर असर पड़ सकता है। धारा 124ए को इसके इसके दुरुपयोग से रोकने के लिए कुछ कुछ सुरक्षा उपायों के साथ बरकरार रखा जाना चाहिए।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे अपने कवरिंग लेटर में 22वें लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस रितु राज अवस्थी (सेवानिवृत्त) ने कुछ सुझाव भी दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2022, मई के महीने में देशद्रोह कानून को स्थगित कर दिया था।
तब राज्य सरकारों से कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार की ओर से इस कानून को लेकर जांच पूरी होने तक इस प्रावधान के तहत सभी लंबित कार्यवाही में जांच जारी न रखें।
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