इसरो ने भेजा पहला वीडियो, चंद्रमा की सतह पर घूमने लगा रोवर

राष्ट्रीय            Aug 25, 2023


 मल्हार मीडिया डेस्क।

चंद्रयान-3 के लैंडर से छह पहियों और 26 किलो वाले प्रज्ञान रोवर के बाहर आने का पहला वीडियो इसरो ने शुक्रवार को शेयर किया। इसने गुरुवार से चंद्रमा की सतह पर घूमना शुरू किया है। चंद्रयान-3 के लैंडर की लैंडिंग के करीब 14 घंटे बाद गुरुवार सुबह ISRO ने रोवर के बाहर आने की पुष्टि की।

चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर उतरा था।

चांद की सतह पर आते ही रोवर ने सबसे पहले अपने सोलर पैनल खोले। ये 1 सेमी/सेकेंड की गति से चलता है और अपने आस-पास की चीजों को स्कैन करने के लिए नेविगेशन कैमरों का इस्तेमाल कर रहा है। रोवर 12 दिनों में लैंडर के आधा किमी के दायरे में घूमेगा।

चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ और इसरो लोगो की छाप

प्रज्ञान रोवर के पीछे के दो पहियों पर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और इसरो लोगो के इंडेंट हैं। जैसे ही रोवर चंद्रमा पर उतरा तो उसके पहियों ने चांद की मिट्टी पर इन प्रतीकों की छाप छोड़ी। रोवर में दो पेलोड भी लगे हैं जो पानी और अन्य कीमती धातुओं की खोज करेंगे।

कुछ इस तरह से प्रज्ञान रोवर ने चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ और इसरो लोगो की छाप छोड़ी होगी। यह तस्वीर प्रतीकात्मक है। ये एनिमेटेड फोटो ISRO ने जारी की थी।

कुछ इस तरह से प्रज्ञान रोवर ने चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ और इसरो लोगो की छाप छोड़ी होगी। यह तस्वीर प्रतीकात्मक है। ये एनिमेटेड फोटो ISRO ने जारी की थी।

चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से ली गई तस्वीरों पर कंफ्यूजन

इससे पहले इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से चंद्रयान-3 के लैंडर की तस्वीरें शेयर की थी। इसरो ने शुक्रवार को अपने X हैंडल पर इसकी एक फोटो शेयर की, लेकिन बाद में डिलीट कर दी। इसमें विक्रम लैंडर चांद की सतह पर दिख रहा है।

इन तस्वीरों को ऑर्बिटर पर लगे हाई-रेजोल्यूशन कैमरा (OHRC) से लिया गया है। ये चंद्रमा की ऑर्बिट में वर्तमान में मौजूद सबसे अच्छे रेजोल्यूशन वाला कैमरा है। नासा का ऑर्बिटर भी चांद की कक्षा में है, उसका कैमरा भी इतना पावरफुल नहीं है।

इसरो ने 25 अगस्त 23 को दो तस्वीरें शेयर की । बाएं तरफ की तस्वीर 23 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 28 मिनट की है। जब चंद्रयान-3 की लैंडिंग नहीं हुई थी। दाएं तरफ की तस्वीर में चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर दिख रहा है। इसे 23 अगस्त को रात 10 बजकर 17 मिनट पर लिया गया था

इसरो ने 25 अगस्त 23 को दो तस्वीरें शेयर की । बाएं तरफ की तस्वीर 23 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 28 मिनट की है। जब चंद्रयान-3 की लैंडिंग नहीं हुई थी। दाएं तरफ की तस्वीर में चंद्रयान-3 का लैंडर चंद्रमा की सतह पर दिख रहा है। इसे 23 अगस्त को रात 10 बजकर 17 मिनट पर लिया गया था

गुरुवार को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, यानी इसरो ने लैंडिंग का वीडियो भी शेयर किया था। इस वीडियो में चांद की सतह पर शुरुआत में लहरों जैसा नजारा दिखा, पास पहुंचते ही वहां काफी सारे बड़े और छोटे गड्‌ढे नजर आए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बेंगलुरु में ISRO के हेडक्वार्टर पहुंचेंगे। वहां वो वैज्ञानिकों से मिलकर उन्हें चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की बधाई देंगे। चंद्रयान-3 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। इसे चांद की सतह पर लैंड करने में 41 दिन लगे। लैंडर बुधवार शाम 6:04 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था।

चंद्रयान-3 के साथ कुल 7 पेलोड भेजे गए हैं

चंद्रयान-3 मिशन के तीन हिस्से है। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर। इन पर कुल 7 पेलोड लगे हैं। एक पेलोड जिसका नाम शेप है वो चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल पर लगा है। ये चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाकर धरती से आने वाले रेडिएशन की जांच कर रहा है।

वहीं लैंडर पर तीन पेलोड लगे हैं। रंभा, चास्टे और इल्सा। प्रज्ञान पर दो पेलोड हैं। एक इंस्ट्रूमेंट अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का भी है जिसका नाम है लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर अरे। ये चंद्रयान-3 के लैंडर पर लगा हुआ है। ये चंद्रमा से पृथ्वी की दूसरी मापने के काम आता है।

चांद पर भारत का यह तीसरा मिशन था, पहले मिशन में पानी खोजा था

2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया था। इसमें एक प्रोब की क्रैश लैंडिंग कराई गई थी जिसमें चांद पर पानी के बारे में पता चला। फिर 2019 में चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंचा, लेकिन लैंड नहीं कर पाया। 2023 में चंद्रयान-3 चांद पर लैंड कर गया। चांद पर सकुशल पहुंचने का संदेश भी चंद्रयान-3 ने भेजा। कहा- 'मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं।'

चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग 4 फेज में हुई

ISRO ने 30 किमी की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की और अगले 20 मिनट में सफर पूरा किया।

चंद्रयान-3 ने 40 दिन में 21 बार पृथ्वी और 120 बार चंद्रमा की परिक्रमा की। चंद्रयान ने चांद तक 3.84 लाख किमी दूरी तय करने के लिए 55 लाख किमी की यात्रा की।

  1. रफ ब्रेकिंग फेज:लैंडर लैंडिंग साइट से 750 Km दूर था। ऊंचाई 30 Km और रफ्तार 6,000 Km/hr।

ये फेज साढ़े 11 मिनट तक चला। इस दौरान विक्रम लैंडर के सेंसर्स कैलिब्रेट किए गए।

लैंडर को हॉरिजॉन्टल पोजिशन में 30 Km की ऊंचाई से 7.4 Km दूरी तक लाया गया।

  1. एटीट्यूड होल्डिंग फेज:

विक्रम ने चांद की सतह की फोटो खींची और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर किया।

चंद्रयान-2 के टाइम में ये फेज 38 सेकेंड का था इस बार इसे 10 सेकेंड का कर दिया गया था।

10 सेकेंड में विक्रम लैंडर की चंद्रमा से ऊंचाई 7.4 Km से घटकर 6.8 Km पर आ गई।

  1. फाइन ब्रेकिंग फेज:

ये फेज 175 सेकेंड तक चला जिसमें लैंडर की स्पीड 0 हो गई।

विक्रम लैंडर की पोजिशन पूरी तरह से वर्टिकल कर दी गई।

सतह से विक्रम लैंडर की ऊंचाई करीब 1 किलोमीटर रह गई

  1. टर्मिनल डेसेंट:
  2. इस मिशन से भारत को क्या हासिल होगा

ISRO के एक्स साइंटिस्ट मनीष पुरोहित कहते हैं कि इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को बताना चाहता है कि उसके पास चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को वहां चलाने की काबिलियत है। इससे दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ेगा जो कॉमर्शियल बिजनेस बढ़ाने में मदद करेगा।

  1. साउथ पोल पर ही मिशन क्यों भेजा गया?

चंद्रमा के पोलर रीजन दूसरे रीजन्स से काफी अलग हैं। यहां कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में अभी भी पानी मौजूद हो सकता है। भारत के 2008 के चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था

  1. दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज इस मिशन का लक्ष्य

चंद्रयान-3 का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज है। यहां पानी की मौजूदगी बर्फ के रूप में हो सकती है। चंद्रयान-1 मिशन में इस बात का संकेत मिला था। यहां मिली बर्फ भविष्य के चंद्रमा मिशनों और चंद्रमा कॉलोनी के लिए ऑक्सीजन, ईंधन और पानी का सोर्स हो सकती है।

धरती के बाहर चांद इकलौता ऐसा खगोलीय पिंड है, जहां इंसान पहुंचा है। चंद्रमा नहीं होता तो धरती भी टिकी नहीं होती। अब तक 100 से ज्यादा अंतरिक्ष यान चांद पर भेजे जा चुके हैं। 24 इंसानों ने चांद की सैर की है, इनमें से 12 लोग तो इसकी सतह पर भी चले हैं। चांद से अब तक 382 किलो मिट्टी और पत्थर धरती पर एक्सपेरिमेंट के लिए लाए जा चुके हैं।

चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करके भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बन चुका है। दो दिन पहले 21 अगस्त को रूस के लूना-25 मिशन ने यहां लैंड करने की कोशिश की थी, लेकिन फेल हो गया। अमेरिका और चीन ने भी चांद पर अंतरिक्ष यान उतारने के लिए एडवांस मिशन शुरू किए हैं। इस रेस में SpaceX जैसी कुछ प्राइवेट कंपनियां भी हैं। आखिर चांद पर ऐसा क्या है कि सब खोजने में लगे हैं? चांद पर पहुंचने की इस होड़ में कौन-कौन शामिल है और उसके पीछे असली मकसद क्या हैं? पूरी खबर पढ़ें

चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद पर कदम रख चुका है। अब सूरज की बारी है। इसके लिए भी ISRO के वैज्ञानिकों ने तैयारी कर ली है। सितंबर में सूरज तक पहुंचने के लिए आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग हो सकती है। अंतरिक्ष और आसमान को एक्सप्लोर करने का ये सिलसिला यहीं रुकने वाला नहीं है। पूरी खबर पढ़ें

 



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