मल्हार मीडिया डेस्क।
दवा माफिया जुकाम-खांसी से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली जीवनरक्षक दवाओं को भी नकली बना रहे हैं। इसके चलते ये मर्ज पर बेअसर हैं। अभी तक हिमाचल प्रदेश में बनवाकर आगरा से इनका काला कारोबार हो रहा था। एसटीएफ की जांच में अब तमिलनाडु और पुडुचेरी से इस खेल की तार जुड़ गए हैं। इनको बड़े पैमाने पर कहां-कहां खपाया जा रहा है, इसकी भी जांच की जा रही है।
फव्वारा पर हे मां मेडिको के यहां से जुकाम, खांसी, एंटी एलर्जी, एंटीबायोटिक समेत कई तरह की बीामिरयों की नकली दवाएं बरामद की गई हैं। इन दवाओं को तमिलनाडु के चेन्नई और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी से मंगवाई जा रहा था। इनको लखनऊ के पते पर मंगवाकर आगरा में भंडारण कर कई प्रदेशों में खपाया जा रहा था।
इससे पहले भी आगरा में नकली कफ सिरप, एंटीबायोटिक, बुखार-खांसी, मधुमेह, कैंसर, किडनी की भी नकली दवाओं का काला कारोबार पकड़ा जा चुका है। औषधि विभाग की जांच में बीते एक साल में 80 नमूने फेल हो चुके हैं, जिसमें 42 दवाएं नकली मिली हैं।
40 से अधिक दवाएं नकली मिलीं
सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय ने बताया कि टीम ने छापा मारकर अवैध फैक्टरियां पकड़ते हुए आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराए हैं। विभाग की जांच में 40 से अधिक दवाएं नकली मिली हैं, इनके विक्रेताओं पर केस भी चल रहा है।
सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय ने बताया कि आम लोगों के लिए नकली दवाओं की पहचान करना बेहद मुश्किल है। क्योंकि इन दवाओं की पैकिंग हूबहू असली की तरह की जाती है।
शहर में नकली और सैंपल दवाएं कई बार पकड़ी जा चुकी हैं। कोतवाली के बाजार से पूरा खेल चलता है। सिकंदरा और जगदीशपुरा में नकली दवाओं की फैक्टरी पकड़ी गई थी। गोदाम तक पर कार्रवाई की जा चुकी है। पंजाब, दिल्ली और राजस्थान की टीमें आगरा में छापेमारी कर चुकी हैं। पूर्व में कई फर्म के संचालक और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इस बार भी टीम की कार्रवाई के बाद इस खेल से जुड़े लोग भूमिगत हो गए हैं। इनके बारे में एसटीएफ को गोपनीय सूचनाएं मिल रही हैं।
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