छात्रों, महिलाओं, मध्यम वंचित वर्गों के लहए आउटरीच था पीएम का भाषण

राष्ट्रीय            Aug 15, 2023


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 90 मिनट के लंबे भाषण में देश की जनसंख्या को अपनी सबसे बड़ी ताकत के रूप में पेश किया. उन्होंने कहा कि यह कोई समय बर्बाद किए बिना मूल्यों के आसपास केंद्रित विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ने का वक्त है. पीएम मोदी ने लोगों से आशीर्वाद मांगते हुए कहा कि 2047 में देश जब स्वतंत्रता के 100 साल का जश्न मनाए, तो हमारे देश का तिरंगा दुनिया में विकसित देश की पहचान के साथ लहराए. इसके लिए आने वाले 5 साल को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया.

पीएम मोदी का यह भाषण अगले महीने नई दिल्ली में आयोजित होने वाले जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक संदेश था. पीएम का भाषण 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विभिन्न सामाजिक समूहों, छात्रों, महिलाओं, देश के बढ़ते मध्यम वर्ग और वंचित वर्गों के लिए एक आउटरीच भी था.

लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी अपने भाषण के जरिए अपनी सरकार, पार्टी और राष्ट्र के लिए लक्ष्य निर्धारित करते रहे हैं. इस बार प्रधानमंत्री ने राष्ट्र चेतना और राष्ट्र चरित्र पर बड़े पैमाने पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने दोनों का उद्देश्य विश्वकल्याण बताया. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में मणिपुर में हुई हिंसा का जिक्र किया. उन्होंने भाषण के शुरुआत में कहा- "मणिपुर में मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ. लोगों की जान गई. कुछ दिनों से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं. पूरा देश मणिपुर के लोगों के साथ है. शांति के प्रयास किए जा रहे हैं." यह एक महत्वपूर्ण संदर्भ है, क्योंकि विपक्ष प्रधानमंत्री पर मणिपुर हिंसा पर पर्याप्त नहीं बोलने का आरोप लगाता रहा है.

इस बार पीएम के भाषण का फोकस पर्यावरण भी था. पीएम मोदी ने अपने भाषण में न सिर्फ इस साल प्राकृतिक आपदाओं के कारण खोए गए जीवन और आजीविका को याद किया. बल्कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में आए बाढ़, लैंडस्लाइड के बारे में भी बातें की. उन्होंने कहा कि यह भारत ही था, जिसने जी-20 में 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य' और पर्यावरण को बचाने के लिए जीवन शैली पर जोर दिया. यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि जहां जी 20 बैठकों का जोर आम सहमति वाले बयान लाने पर रहा है. वहीं, भारत विशेष रूप से विकासशील देशों के मुद्दों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. हमारे कार्बन उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा के नवीकरणीय रूपों को बढ़ावा देने की जरूरत है.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी नौकरशाही की प्रशंसा भी की. उन्होंने कहा कि ब्योरोक्रेसी ने ट्रांसफॉर्म करने के लिए परफॉर्म करने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई. इससे जनता जनार्दन जुड़ गया. मोदी ने कोविड वैक्सीनेशन की सफलता के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं को क्रेडिट दिया और उन्हें बधाई भी दी. इसके साथ ही पीएम ने सुप्रीम कोर्ट को क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए उनका शुक्रिया भी अदा किया. पीएम मोदी ने जब सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्थानीय भाषा में जजमेंट का ऑपरेटिव बात का जिक्र किया, तो सीजेआई वहीं मौजूद थे. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पीएम मोदी की इस बात पर हाथ जोड़कर अभिवादन किया.

 

मोदी के भाषण में ब्यूरोक्रेसी और सुप्रीम कोर्ट की तारीफ खास तौर पर दिलचस्प है, क्योंकि ब्यूरोक्रेसी को प्रशासनिक नियंत्रण पर जोर देने के साथ पीएम की कार्यशैली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. मोदी सरकार के कई मंत्री पहले कुशल नौकरशाह रहे हैं.

पीएम के भाषण में मुख्य बिंदु नारीशक्ति, सामाजिक न्याय, युवा शक्ति, परिवारवाद (वंशवाद के नेतृत्व वाली राजनीति), भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण, आधुनिकता का इस्तेमाल (प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के संदर्भ में) थे. क्योंकि उन्होंने अपने गवर्नेंस मॉडल को पेश करने के लिए इन शब्दों को कई बार इस्तेमाल किया. पीएम ने कहा, "हम नैनो तकनीक में प्रगति कर रहे हैं, लेकिन हम जैविक खेती को बढ़ाने के लिए भी काम कर रहे हैं."

 

PM मोदी ने कहा- 'आज हमारे पास डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी और डाइवर्सिटी है. ये तीनों मिलकर देश के सपनों को साकार करने की क्षमता रखते हैं. मैं पिछले 1000 वर्षों की बात इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि मैं देख रहा हूं कि देश के सामने एक बार फिर अवसर है. अभी हम जिस युग में जी रहे हैं इस युग में हम जो करेंगे, जो कदम उठाएंगे और एक के बाद एक जो निर्णय लेंगे, वह स्वर्णिम इतिहास को जन्म देगा.'

पीएम मोदी का यह एक महत्वपूर्ण बयान है, क्योंकि भारत चीन को छोड़कर दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में उभरा है. भारत की जनसंख्या अभी लगभग 142.86 करोड़ है. यह चीन की जनसंख्या से लगभग 29,56311 लाख ज्यादा है. आंकड़ों के अनुसार, भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है, जिसमें 35 वर्ष से कम उम्र के 908 मिलियन से अधिक लोग हैं. यह भारत की कुल आबादी का 66% प्रतिनिधित्व करता है. इसके अलावा 15-24 आयु वर्ग में 255 मिलियन से अधिक लोग हैं. यानी भारत में दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी है.

प्रधानमंत्री का बयान राजनेताओं और राज्य सरकारों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आह्वान है कि वे कठोर जनसंख्या नियंत्रण उपायों को लागू करने में सतर्क रहें. जनसांख्यिकी को ताकत के रूप में उपयोग करने के तरीकों की तलाश करें. सबसे बड़ी युवा आबादी होने का मतलब कई चुनौतियां होना भी है. क्योंकि सरकार को युवा आबादी की पढ़ाई, कौशल वाली नौकरियां और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना होगा. प्रधानमंत्री ने देश को आगे ले जाने और उनके लिए अवसर पैदा करने के लिए युवाशक्ति पर भी बहुत जोर दिया. इससे साफ हो गया कि वह युवाओं में बेरोजगारी के कारण पैदा होने वाली समस्याओं से वाकिफ हैं.

पीएम मोदी ने जी-20 समिट को अपने भाषण के केंद्र में रखा. उन्होंने कहा कि देश के पास अपनी छाप छोड़ने का शानदार मौका है. कोविड-19 संकट के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभरी है. भारतीय बदलती गतिशीलता को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. दुनिया ने पिछले कुछ वर्षों में देश की प्रतिबद्धता देखी है. उन्होंने कहा कि भारत को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जब 'मेक इन इंडिया' उत्पादों की बात हो, तो गुणवत्ता पर कोई समझौता न किया जाए, क्योंकि दूसरों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना और इसके प्रति सच्चा रहना महत्वपूर्ण है.

पीएम मोदी ने कहा, "जब वे भारत में निर्मित उत्पाद देखते हैं, तो उन्हें इसकी गुणवत्ता पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए." उन्होंने याद दिलाया कि कैसे हाल ही में बाली में जी-20 की बैठक में विश्व नेताओं को यह जानने में विशेष रुचि थी कि भारत के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम कैसे प्रभाव पैदा करने में सक्षम रहे हैं. उनके भाषण का मुख्य आकर्षण भारत के टियर-2 और टियर-3 शहर भी रहे. पीएम ने कहा, "भारत में छोटे शहरों की आकांक्षाएं और क्षमताएं ऊंची हैं... और मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि उन्हें विकास के लिए आवश्यक अवसरों की कमी महसूस नहीं होगी."

प्रधानमंत्री का यह कहना कि सामाजिक न्याय की अवधारणा हमारे अंदर इस कदर समाहित हो जाए कि देश में एक भी व्यक्ति को अपने बुनियादी अधिकारों के लिए लड़ने की जरूरत न पड़े... यह बीजेपी के अभियान में सोशल इंजीनियरिंग के महत्व का स्पष्ट संकेत देता है. देश के मतदाताओं का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा बनने वाले ओबीसी समुदायों के लिए पीएम ने खास ऐलान किया. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में विश्वकर्मा जयंती पर हम 13-15 हजार करोड़ रुपये से नई ताकत देने के लिए हम आने वाले महीने में विश्वकर्मा जयंती पर 'विश्वकर्मा योजना' शुरू करेंगे. इस कार्यक्रम की घोषणा बजट में की गई थी. यह विशेष रूप से पारंपरिक काम करने वाले कारीगरों, शिल्पकारों और श्रमिकों को घरेलू और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने में मदद करेगा.

पीएम खुद ओबीसी पृष्ठभूमि से आते हैं. उन्होंने पिछले साल अपने जन्मदिन (17 सितंबर) पर पड़ने वाली विश्वकर्मा जयंती को आईटीआई के छात्रों के साथ मनाने का फैसला किया था. पीएम ने कहा कि रियायती दरों पर दवाएं उपलब्ध कराने वाले जन औषधि केंद्रों की संख्या 10000 से बढ़कर 50000 हो जाएगी. इससे वरिष्ठ नागरिकों और गरीब परिवारों को मदद मिलेगी. गांवों में 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने की घोषणा, महिलाओं को एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) में शामिल करने का उल्लेख, 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि-तकनीकी उद्देश्यों के लिए ड्रोन संचालित करने और मरम्मत करने का प्रशिक्षण देने की घोषणा भी की गई.

पीएम मोदी ने अपने भाषण में सुरक्षा के मुद्दे का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण ने नागरिकों के लिए बेहतर सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त किया है. उन्होंने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों और नक्सली गतिविधियों की संख्या में काफी कमी आई है. नागरिकों में अब सुरक्षा की भावना है.

पीएम मोदी ने मुद्रास्फीति और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर भी बात की. उन्होंने कहा कि सरकार इससे निपटने की पूरी कोशिश करेगी. ये दोनों विषय महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि जहां राष्ट्रीय सुरक्षा मोदी सरकार की ताकत है, वहीं मूल्य वृद्धि पर चिंताओं ने सरकार को रक्षात्मक स्थिति में डाल दिया है. कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद महंगाई बढ़ रही है. खासकर टमाटर की बढ़ती कीमतों पर सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं.

पीएम मोदी ने अपनी सरकार के 10 साल का हिसाब भी दिया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले पांच वर्षों में राज्यों को 100 लाख करोड़ रुपये दिए, जबकि पिछली सरकारों ने उन्हें 30 लाख करोड़ रुपये दिए थे. मोदी ने कहा, "क्षेत्रीय आकांक्षाओं को समझना और मजबूत करना होगा और हर राज्य को पर्याप्त अवसर दिए जाने चाहिए. देश के किसी भी हिस्से को वंचित महसूस नहीं कराया जाना चाहिए." उन्होंने दावा किया कि गरीबों के लिए घरों का आवंटन, किसानों के लिए यूरिया सब्सिडी, मुद्रा ऋण और एमएसएमई को सहायता पिछले 10 वर्षों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है, क्योंकि केंद्र ने देश के समग्र विकास में निवेश किया था.

मोदी ने कहा कि उत्तर-दक्षिण विभाजन, केंद्र-राज्य संबंध, संघवाद विपक्षी दलों और भाजपा के बीच विवाद की महत्वपूर्ण जड़ बन गए हैं. डीएमके, टीएमसी जैसी पार्टियां विशेष रूप से केंद्रीय निधि से वंचित करने के लिए केंद्र के खिलाफ आंदोलन कर रही हैं. डीएमके और कांग्रेस जैसी पार्टियों ने भारत को राज्यों का संघ बनाने पर जोर दिया है. यह भाजपा के लिए भी एक वैचारिक मुद्दा है. जिसने राष्ट्र की सभ्यतागत एकता पर जोर दिया है. पीएम ने कहा कि देश को हर समय एक के रूप में सोचना महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक राज्य की घटना का दूसरों पर प्रभाव पड़ता है. उन्होंने विशेष रूप से राज्यों को दिए एक संदेश में कहा, "मणिपुर का दर्द महाराष्ट्र में भी महसूस किया गया...हम एक हैं. भारत को विविधता का मॉडल बनना होगा."

स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए अपने भाषण में पीएम मोदी ने विपक्ष पर हमला जारी रखा. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार, वंशवाद की राजनीति और तुष्टिकरण लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी बाधा है. पीएम ने कहा, ''वे लोगों की योग्यता और अधिकारों को कुचलते हैं, और उनसे डटकर मुकाबला किया जाना चाहिए.'' दिलचस्प बात यह है कि वंशवाद के नेतृत्व वाली राजनीति 'सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय' की अवधारणा के खिलाफ है, जो कि बहुजन समाज पार्टियों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला नारा भी है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचारियों की 20 गुना अधिक संपत्ति जब्त की है.

पीएम ने कहा, "यह समझ में आता है कि कुछ लोग मुझसे नाराज़ क्यों हैं... हम कैमरे के सामने कार्रवाई नहीं करते हैं. हम चार्जशीट दायर करते हैं, हम भ्रष्टाचारियों को सजा दिलाने के लिए अदालतों में मामले लड़ते हैं. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी." पीएम का बयान महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई विपक्षी नेता जांच एजेंसियों की जांच का सामना कर रहे हैं. उन्होंने इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया है.

पीएम ने अपने भाषण में कहा कि उन्हें इसलिए वोट दिया गया, क्योंकि लोगों को उन पर भरोसा था. अपने प्रदर्शन के जरिए उन्होंने "वादे को विश्वास" (आशा को विश्वास) में बदल दिया है. मोदी ने कहा, "आपने सरकार बनाई और उससे मुझे सुधार करने का साहस मिला." उन्होंने इस विश्वास के साथ भाषण समाप्त किया कि अगले वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर वह इसी स्थान पर खड़े होंगे और देश को अपनी सरकार के काम का लेखा-जोखा देंगे.

 

इस संदर्भ में उन्होंने जो पंक्तियां बोलीं, उनमें जनादेश के लिए उनकी ठोस मांग का सार था. मोदी ने कहा, "ये काम करने वाली सरकार है...ये आत्मविश्वास से भरा हुआ भारत है..ये भारत ना रुकता है, ना थकता है, ना हारता है."

 



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