मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टेट्रा पैक में शराब की बिक्री खतरनाक और भ्रमित करने वाली है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा कि क्या टेट्रा पैक में शराब की बिक्री की अनुमति दी जानी चाहिए?
शीर्ष अदालत ओरिजिनल चॉइस व्हिस्की बेचने वाली जॉन डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड और ऑफिसर्स चॉइस व्हिस्की बनाने वाली एलाइड ब्लेंडर्स एंड डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड के बीच ट्रेडमार्क विवाद की सुनवाई कर रही थी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष जॉन डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से मुकुल रोहतगी ने दोनों कंपनियों के टेट्रा पैक पेश किए। उनके उत्पादों की ब्रांडिंग में समानताओं की ओर इशारा किया।
इस पर पीठ ने पूछा, ये क्या है जूस के पैकेट। रोहतगी ने कहा कि ये व्हिस्की के टेट्रा पैक हैं, जो कर्नाटक में सबसे ज्यादा बिकने वाले उत्पादों में से एक है।
पीठ ने कहा, यह हैरानी की बात है कि सरकार ने ऐसे पैकेटों में शराब बेचने की अनुमति दी है। यह एक गंभीर मुद्दा है। क्या इसकी अनुमति दी जानी चाहिए? हमें लगता है कि यह बहुत खतरनाक है। छात्र इसे अपने बैग में स्कूल या कॉलेज ले जा सकते हैं।
माता-पिता आसानी से धोखा खा सकते हैं। जस्टिस कांत ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार टेट्रा पैक में शराब देखी है। आखिर सरकार इसकी अनुमति कैसे दे सकती है। जस्टिस कांत ने कहा, यदि कोई जनहित याचिका दायर करता है तो हम उसकी जांच करना चाहेंगे।
जस्टिस बागची ने कहा कि सरकारें लोगों के स्वास्थ्य के साथ व्यापार कर रही हैं। जरा समझिये कि राजस्व कमाने के चक्कर में स्वास्थ्य पर कितना पैसा बर्बाद किया जा रहा है। रोहतगी ने कहा, ऐसा ही है। माननीय न्यायाधीश इस मुद्दे पर बाद में विचार कर सकते हैं, मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
पीठ ने जस्टिस (सेवानिवृत्त) राव से मध्यस्थ के रूप में कार्य करने का अनुरोध करते हुए कहा कि मामले की तात्कालिकता को देखते हुए, मध्यस्थ इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर ले सकते हैं और जल्द से जल्द समाधान प्रक्रिया को पूरा करने का प्रयास कर सकते हैं।
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