मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने एक रेलवे मुआवजे को लेकर कहा, ''एक गरीब के चेहरे पर मुस्कान हमारी चाहत है, और कुछ नहीं।''
उन्होंने बताया कि रेलवे ने अंतत: एक दुखद घटना में अपने पति को खोने वाली विधवा को 8.92 लाख रुपये का मुआवजा देने में सफलता प्राप्त की है।
यह मुआवजा 2002 में एक ट्रेन दुर्घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिया गया। पीठ में शामिल जस्टिस जायमाल्या बागची ने कहा कि उस वृद्ध महिला को ढूंढना एक कठिन कार्य था, जिसने बिहार के एक दूरदराज के गांव में अपना निवास बदल लिया था और उसका अंतिम संपर्क उसके स्थानीय वकील के निधन के कारण खो गया था।
उन्होंने रेलवे और वकील फौजिया शकील की प्रशंसा की, जिन्होंने विधवा का बिना किसी शुल्क के प्रतिनिधित्व किया ताकि वह वित्तीय राहत प्राप्त कर सके। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा, ''हमें स्थानीय पुलिस और प्रशासन की मदद से उसे ढूंढना पड़ा और अंतत: रेलवे ने उसे भुगतान करने में सफलता प्राप्त की।
रेलवे ने अपने हलफनामे में कहा कि 6 अक्टूबर के आदेश के अनुपालन में उसने स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मदद से महिला संयोगिता देवी को ढूंढने में सफलता प्राप्त की।
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