समीर चौगांवकर।
फ़िल्म अभिनेता अभिताभ बच्चन के फिल्म शूटिंग के दौरान घायल होने की खबर सुनते ही आज से 41 साल पहले 'कुली' में उनके घायल होने की खबर दिमाग के सामने तैर गई। कुली की दुर्घटना के समय अभिताभ 40 साल के थे, आज 80 साल पार कर चुके हैं।
पिछले 53 साल से अभिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय है। उम्र के इस दौर में जब उनके समकक्ष अभिनेता गुमनामी के अंधेरे में खो गए है,या काम के बोझ से छुट्टी लेकर रिटायर हो गए,बच्चन साहब आज भी फिल्म उघोग में सूर्य के समान दमक रहे हैं।
भारतीय फिल्म उघोग में अभिताभ बच्चन ने अपना खूंटा मजबूती से गढ़ाया हुआ है। सुपरहिट फिल्मों की बरसात और घर में लक्ष्मी का साक्षात वास होने के बाद 1990 के दशक में अभिताभ ने अपनी ही बनाई कंपनी से अपने को बर्बाद होते देखा और अंबानी की उस सलाह पर अमल किया जिसमें अंबानी ने कहा था कि वह अभिनय के लिए बने हैं और अभिनय से ही इस वित्तीय संकट से निकल सकते हैं।
अंबानी की इस सलाह के बाद उन्होंने अभूतपूर्व वापसी का ताना-बाना बुना। ऐसी वापसी जिससे वे फिर कभी लौटकर नहीं गए। इसी के बाद ही उन्होंने 'कौन बनेगा करोड़पति' और यश चौपड़ा की 'महोब्बते' अनुबंधित की।
यहीं से कर्ज मुक्ति की राह प्रशस्त हुई। 'कौन बनेगा करोड़पति' में अभिताभ ने एंकर की भूमिका को नई गरिमा प्रदान की।
इसमें उन्होंने साधारण लोगों से मनोहर मुस्कान के साथ सौम्य बातचीत करते हुए खुद को नए सिरे से ईजाद किया।
उनका सबसे विलक्षण अभिनय उस समय देखने को मिला जब प्रतियोगी के उत्तेजित और व्यक्तिगत मामलों पर टिका टिप्पणी के बाद भी उन्होंने धीरज कायम रखते हुए रवैये को सहानुभूतिपूर्ण बनाए रखा।
दरअसल उनके संचालन में प्रेम और धैर्य के तत्व प्रमुख रहे, कार्यक्रम के दौरान बच्चन के आशावादी बाते करना और कविताओं को सुनाने के कारण मशीनी कार्यक्रम में मानवीय स्पर्श का समावेश हो गया।
सब कुछ गंवा चुके अभिताभ बच्चन ने सबकुछ पाने के लिए खुद को फिल्मों में भी खुल कर खर्च करना शुरू कर दिया।
महान अभिनेता ने सभी भूमिकाओं को स्वीकार करना शुरू कर दिया, बच्चन ने अपने दृष्टिकोण को विशुद्ध व्यावसायिक बनाया।
अपने मेहनताने से मतलब रखा और फिल्म की गुणवत्ता से कोई सरोकार नहीं रखा। एक तरफ से यह स्वस्थ दृष्टिकोण है। पैसा फेंको, तमाशा देखो।
उनके पहले और उनके बाद शायद ही ऐसी व्यावसायिकता फिर देखने को मिले। बच्चन नें अच्छी और बुरी सभी तरह की फिल्में की।
किसी भी भूमिका के लिए कोई झिझक नहीं। कमाल की बात यह है कि वे सभी फिल्मों और विज्ञापनों में निष्ठापूर्वक काम करते है।
अपने काम के प्रति समर्पण इतना है कि इतने लंबे कॅरियर में आज भी वे समय से सेट पर पहुंच जाते है और शू्टिग के समय पूरी एकाग्रता के साथ काम करते हैं।
अभिताभ बच्चन 53 साल से अभिनय कर रहे हैं, और उम्र के 80 वर्ष पूर्ण करने के बाद भी उनकी पारी जारी है।
इतनी लंबी पारी खेलना आसान नहीं है। 'कुली' के शूटिंग के दौरान हुई दुर्घटना के समय एक ऐसा क्षण भी आया जब उनको मृत मान लिया गया था, परंतु वह वापस आ गए।
समस्त बाधाओं को उन्होंने साहस के साथ पार किया। बच्चन साहब का जुझारूपन हर दौर में काम आया। कड़ा परिश्रम और अनुशासन उनके व्यक्तित्व के सार तत्व हैं।
अभिताभ वह मिट्टी पकड़ पहलवान है, जो गिर तो सकता है लेकिन चित्त नहीं होता। दंगल के जानकार मिट्टी पकड़ पहलवान का महत्व जानते है।
यह बात अलग है कि अभिताभ मिट्टी और मिट्टी में छुपा धन पकड़ने में महारत हासिल कर चुके हैं।
80 की उम्र पार कर चुके बच्चन अभी भी रचनात्मक उर्जा से खौल रहे हैं और हमारा मनोरंजन कर रहे हैं।
सब कुछ हासिल करने के बाद भी दिन रात पैसों के लिए दौड़भाग करने वाले अभिताभ बच्चन दुर्घटना में घायल होने के बाद घर पर आराम करते वक्त यादों की जुगाली के साथ आत्मावलोकन भी कर सकते हैं और वह स्वंय ही सोच सकते है कि उन्होंने क्या खोया और क्या पाया।
या बतर्ज अपने पिता की आत्मकथा के पहले भाग की तरह 'क्या भूलू, क्या याद करू?
बच्चन साहब के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना।
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