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ओबीसी रिजर्वेशन पर सुप्रीम कोर्ट की न के बाद पार्टियों ने चला नया दांव

राजनीति            May 11, 2022


मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में जब सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन नहीं देने का फैसला सुना दिया तो अब राजनीतिक दल इस वर्ग को अपना बताने के लिए नए—नए पैंतरे चलने लगे हैं।

मध्यप्रदेश की दोनों ही प्रमुख पार्टियों द्वारा अब सीट रिजर्वेशन की जगह टिकट में रिजर्वेशन का दांव खेला जा रहा है।

कांग्रेस ने पहले ऐलान किया तो भाजपा ने बाद में घोषणा कर उसमें बाजी मारने के लिए 27 फीसदी से ज्यादा टिकट का वादा कर दिया है।

ज्ञातव्य है कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की आधी-अधूरी रिपोर्ट की वजह से अन्य पिछड़ा वर्ग को रिजर्वेशन देने से इनकार कर दिया और राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह के भीतर चुनाव कराने का आदेश दिया है।

राजनीतिक दल अपने-अपने आंकड़ों में जिस ओबीसी की आबादी 48 से लेकर 56 फीसदी बता रहे हैं। मगर इस वर्ग की नाराजगी झेलने से बचने के लिए राजनीतिक दलों ने नया दांव खेला है।

अदालत के फैसले की वजह से राजनीतिक दल भले ही चुनाव में सीटें तय करने में रिजर्वेशन नहीं दे पा रहे लेकिन पार्टियों द्वारा दिए जाने वाले टिकट में वे अपने-अपने हिसाब से रिजर्वेशन देने की तैयारी में जुट गई हैं।

पंचायत चुनाव में बिना ओबीसी रिजर्वेशन के फैसले में भाजपा सरकार को दोषी ठहराया और सही ढंग से ओबीसी की जानकारी नहीं रखी गई। दो साल में कोई प्रयास नहीं किया।

संविधान में संशोधन कर दिया जाना चाहिए था। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि ऐसी स्थिति में अब कांग्रेस ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी टिकट देकर उन्हें मौका देगा।

गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस नेता व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने 56 फीसदी आबादी बताई थी और उसके आधार पर आरक्षण की मांग की थी।

यादव ने कहा कि शिवराज सरकार हमेशा ओबीसी की बात आते ही नया फार्मूला लेकर आ जाती है। गलत तथ्य अदालत के सामने पेश करने से यह स्थिति बनी है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पंचायत चुनाव सहित अन्य चुनावों में पार्टी द्वारा 27 फीसदी से ज्यादा नेताओं को टिकट देने का ऐलान किया है। शर्मा ने कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और अरुण यादव को आड़े हाथों लिया।

दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में गलत ढंग से ओबीसी की 27 फीसदी आबादी बताकर 27 फीसदी रिजर्वेशन की मांग की थी?

शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार ने विधानसभा में यह संकल्प पारित किया था कि पंचायत चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के नहीं कराए जाएंगे। इसके लिए सरकार ने ओबीसी आयोग बनाकर रिपोर्ट भी तैयार कराई थी।

 



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