मल्हार मीडिया डेस्क।
भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रवक्ता कृष्ण कुमार जानू को पार्टी से छह साल के लिए निकाल दिया है. बीते दिनों कृष्ण कुमार का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो दिवंगत पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के प्रति पार्टी के 'तिरस्कार' की बात कह रहे थे.
साथ ही वो जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे पर भी बोले. हालांकि, BJP का आधिकारिक तौर पर ये कहना है कि कृष्ण कुमार को पार्टी से इसलिए निकाला गया, क्योंकि वो जून में दिए गए एक कारण बताओ नोटिस का उचित जवाब नहीं दे पाए.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, जून, 2025 में हर्षिनी कुल्हारी को BJP झुंझुनू जिला अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया. कृष्ण कुमार जानू ने कथित रूप से इस नियुक्ति पर आपत्ति जताते हुए बयान दिया था.
इसी को लेकर उन्हें 20 जून को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. फिर शुक्रवार, 8 अगस्त को भाजपा की राज्य अनुशासन समिति के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि कृष्ण कुमार इस कारण बताओ नोटिस के जवाब में अपने काम को उचित नहीं ठहरा पाए. जिसके बाद उनके निष्कासन पर छह साल की मुहर लग गई.
बीते दिनों जो वीडियो वायरल हुआ, उसमें कृष्ण कुमार जानू दो जाट नेताओं - सत्यपाल मलिक और जगदीप धनखड़ - पर बात करते दिखे. वीडियो में जानू कहते हैं कि सत्यपाल मलिक के अंतिम संस्कार और उनके प्रति सरकार के 'तिरस्कार' को देखकर उन्हें गहरा दुख पहुंचा. और वो पार्टी में काम कर रहे जाटों से सवाल पूछना चाहते हैं, चाहे वे सांसद हों, विधायक हों या अन्य पदाधिकारी हों. उन्होंने जाट नेताओं से पूछा कि वो कैसे सोच सकते हैं कि मलिक के साथ जो हुआ, वो उनके साथ नहीं होगा. कृष्ण कुमार जानू आगे बोले,
जिस तरह से सत्यपाल मलिक के तिरस्कार का उदाहरण दिया गया, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता... पार्टी का मौजूदा नेतृत्व लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, प्रवीण तोगड़िया, संजय जोशी और वसुंधरा राजे जैसे दिग्गज नेताओं को किनारे करने के लिए जिम्मेदार है. अब उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को कठपुतली बना दिया है.
भाजपा जमीनी स्तर पर लोकप्रिय जननेताओं के साथ जो कर रही है, वो बेहद दुखद है. पार्टी इन सबके जरिए गलत दिशा में जा रही है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि लोग चुप क्यों हैं… बोलने से क्यों हिचकिचा रहे हैं.
एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार नहीं दिया गया. सत्यपाल मलिक के अंतिम संस्कार के दौरान जो अपमान हुआ, ये इस बात का संकेत है कि सरकार पूर्वाग्रह से ग्रस्त है और डर के मारे ऐसा व्यवहार कर रही है… जो डर के कारण अपने सिद्धांतों से समझौता करता है, वो जाट नहीं है.
कृष्ण कुमार जानू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के ‘असामान्य तरीके से पद छोड़ने’ पर भी सवाल उठाए. कहा कि उनके लिए कोई विदाई भाषण या विदाई पार्टी नहीं थी. एक अहंकारी सरकार से टकराव करना जाटों का संस्कार है. उन्होंने भाजपा के भीतर मौजूद जाटों नेताओं की आलोचना की और उनसे गलत के खिलाफ बोलने का आग्रह किया.
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