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फडनवीस का ठाकरे को दिया सत्तापक्ष में आने का ऑफर, बोले 2029 तक विपक्ष में नहीं जाएंगे

राजनीति            Jul 16, 2025


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र विधानसभा में कहा कि साल 2029 तक भाजपा और उसका गठबंधन विपक्ष में नहीं जाएगा। उन्होंने इशारों में कहा कि उद्धव ठाकरे चाहें तो सत्ता पक्ष में आने पर विचार कर सकते हैं। यह बयान उस वक्त आया है जब बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव नजदीक हैं और राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में बड़ा बयान देते हुए कहा कि 2029 तक भाजपा या उनका गठबंधन विपक्ष में जाने वाला नहीं है। उन्होंने शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे को इशारों में सत्ता पक्ष में शामिल होने का ऑफर भी दिया। यह बयान उस वक्त आया है जब बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव नजदीक हैं और राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। भाजपा की यह रणनीति बीएमसी चुनाव से पहले शिवसेना (उद्धव गुट) की स्थिति को कमजोर करने का प्रयास भी हो सकती है।

विधान परिषद सत्र के दौरान बोलते हुए देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कम से कम 2029 तक हमारे विपक्ष में जाने की कोई संभावना नहीं है। यह बयान राजनीतिक आत्मविश्वास को दर्शाता है। भरी विधान परिषद में उन्होंने कि उद्धव जी चाहें तो इस तरफ आने के बारे में सोच सकते हैं। कम से कम 2029 तक तो हम विपक्ष में नहीं आएंगे। ऐसे में अब एक और संभावित गठबंधन की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह विचार एक अलग तरीके से किया जा सकता है, जिससे यह बयान और ज्यादा सियासी मायनों से भर गया है।

 बीएमसी चुनाव से पहले बढ़ी सियासी हलचल

यह बयान ऐसे समय आया है जब मुंबई की बीएमसी चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। पिछली बार बीएमसी में शिवसेना और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर थी। बीएमसी फिलहाल उद्धव ठाकरे गुट के नियंत्रण में है। भाजपा चाहती है कि इस बार वह बीएमसी पर कब्जा करे और इसके लिए वह सभी राजनीतिक समीकरण साधने में जुट गई है।

 उद्धव और राज की नजदीकी पर गठबंधन मुश्किल

हाल ही में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर नजर आए थे। दोनों भाइयों ने 20 साल की दूरी खत्म कर महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने के फैसले का विरोध किया। हालांकि, राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के उत्तर भारतीयों के खिलाफ रुख को लेकर उद्धव की शिवसेना सहज नहीं है। ऐसे में दोनों के बीच गठबंधन की संभावना अभी अधर में है। वहीं, भाजपा के लिए उद्धव के साथ आना आसान नहीं होगा क्योंकि एक ओर शिंदे गुट पहले से भाजपा के साथ है, दूसरी ओर उद्धव गुट की वापसी से सत्ता समीकरण में तनाव आ सकता है।

 

 

 

 

 


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