मल्हार मीडिया ब्यूरो जयपुर।
कांग्रेस ने उदयपुर के चिंतन शिविर में कागज में तो कई फार्मूले बना लिए लेकिन उन्हें अमलीजामा देने वाली टीम ही उसमें फिट नहीं बैठ रही है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस की जिस टीम को फार्मूले पर अमल करना है, वह 60 प्लस उम्र वाले नेताओं से भरे है।
इसी टीम ने चार साल में आज तक कार्यकारिणी की बैठक तक नहीं बुलाई। ऐसी अनफिट टीम को चिंतन शिविर के फार्मूले पर काम करने में कितनी सुविधा होगी, यह एक बड़ा सवाल है।
उदयपुर के चिंतन शिविर में संगठन स्तर पर कई फैसले लेकर फार्मूले दिए गए हैं लेकिन मध्य प्रदेश में उस फार्मूले में कई नेता फिट नहीं बैठ पाएंगे।
संगठन के पदों पर 50 फीसदी नेताओं की औसत उम्र 50 साल तय की गई है लेकिन अभी अधिकांश पदाधिकारी 60 प्लस उम्र के हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की उम्र आज 76 साल के हो चुकी है।
उनकी कार्यकारिणी के सदस्यों की संख्या पदों की बंदरबाट की वजह से आज तक पता नहीं चल सकी है। मगर शुरुआत में जिन 40 सदस्यों की कार्यकारिणी का ऐलान किया गया था उनमें से भी बमुश्किल 20 फीसदी ही 50 साल से कम उम्र के होंगे।
उनकी टीम के अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारी संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर व वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रकाश जैन भी 70 साल की उम्र को पार कर चुके हैं।
कमलनाथ की टीम के दो अन्य महत्वपूर्ण नेता राजीव सिंह और अशोक सिंह भी 60 से ज्यादा उम्र के हो चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की उम्र भी 70 साल से ज्यादा है।
चिंतन शिविर में संगठन में 50 फीसदी 50 साल से कम उम्र के युवाओं को रखे जाने के फार्मूले में अभी कमलनाथ की टीम के ज्यादातर लोग 60 साल उम्र के आसपास के हैं।
अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी, अनुसूचित जनजाति के अध्यक्ष अजय शाह, ओबीसी के अध्यक्ष राजमणि पटेल, विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजेंद्र बब्बर, किसान कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुर्जर, सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रामबाबू शर्मा, मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता, मीडिया प्रभारी केके मिश्रा, मोर्चा प्रकोष्ठ के समन्वयक व चुनाव आयोग के कार्य के प्रभारी जेपी धनोपिया, संगठन चुनाव में मंडल-सेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे नर्मदाप्रसाद प्रजापति, महामंत्री महेंद्र सिंह चौहान, राजकुमार पटेल जैसे नेताओं की उम्र साठ साल से ज्यादा की है। महिला कांग्रेस की अध्यक्ष विभा पटेल भी चिंतन शिविर के उम्र के फार्मूल में फिट नहीं बैठ पाएंगी।
चिंतन शिविर में यह भी फैसला लिया गया है कि ब्लॉक से लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी तक की कार्यकारिणी की साल में कम से कम एक बार बैठक होगी। मगर कमलनाथ ने एक मई 2018 को पीसीसी चीफ का दायित्व संभाला था और उसके बाद से आज तक कार्यकारिणी की एक बार भी बैठक नहीं बुलाई गई है। कार्यकारिणी को छोड़कर उनकी अपनी कोर कमेटी की बैठकेंजब वे भोपाल मं होते हैं तो उनके निवास पर लगभग हर रोज होती है।
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