रवींद्र कैलासिया।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस कमेटी में अध्यक्ष भले ही कमलनाथ बनाए गए हैं लेकिन कमेटी के प्रमुख पदों पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का ही दबदबा है।
युवा कांग्रेस के बाद अब महिला कांग्रेस की अध्यक्ष भी दिग्विजय सिंह समर्थक नेता की नियुक्ति हो गई है।
वहीं, कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से तीन साल में आज तक प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक नहीं हुई है।
मध्यप्रदेश कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिए 2018 में अरुण यादव को हटाकर कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया था और तब ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी में ही थे तो कमलनाथ-दिग्विजय सिंह की जोड़ी एकसाथ थी।
विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह ने समन्वय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई और नाराज नेताओं को मनाने का काम किया था। कमलनाथ-दिग्विजय के बावजूद सिंधिया ने अपने लोगों को टिकट दिलाकर विधायक बनाया और सरकार बनने के बाद जब दिग्विजय सिंह की सरकार में दखल बढ़ गई।
कमलनाथ कैबिनेट में सभी कैबिनेट मंत्री बनाए जाने के फैसले के पीछे भी दिग्विजय सिंह भूमिका रही।
सरकार में इस तरह की दखल के बाद सिंधिया की धीरे-धीरे नाराजगी बढ़ी। सरकार गिरने के बाद कमलनाथ-दिग्विजय के बीच संबंध पहले जैसे नहीं रहे।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समय नहीं देने के खिलाफ जब दिग्विजय सिंह ने धरना दिया तो सड़क पर ही इन संबंधों का खुलासा भी हुआ।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ तो हैं लेकिन उनकी टीम में दिग्विजय समर्थक ज्यादा हैं।
संगठन को चलाने में प्रमुख जिम्मेदारी निभा रहे चंद्रप्रभाष शेखर दिग्विजय समर्थक माने जाते हैं तो मीडिया प्रभारी व कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी भी जब तक उनके साथ ही खड़े रहे हैं।
युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया भी दिग्विजय सिंह समर्थक कांतिलाल भूरिया के बेटे हैं। विक्रांत को अध्यक्ष बनाने के लिए दिग्विजय सिंह ने काफी प्रयास किए थे और तब युवा कांग्रेस चुनाव मैदान रहे कुछ प्रत्याशियों ने इस तरह के आरोप भी लगाए थे।
युवा कांग्रेस के बाद महिला कांग्रेस की अध्यक्ष विभा पटेल भी बनी हैं जो दिग्विजय समर्थक हैं। सेवादल के प्रदेश प्रमुख रजनीश सिंह भी दिग्विजय समर्थक हैं जिन्हें सिंधिया समर्थक बताकर सत्येंद्र यादव की जगह बनयाा गया है।
पीसीसी में कमलनाथ समर्थकों में कार्यकारी अध्यक्ष बाला बच्चन, सुरेंद्र चौधरी, कोषाध्यक्ष प्रकाश जैन और उनके मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा हैं। चौधरी अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं। उनके कई समर्थक विधायक व वरिष्ठ नेता बिना पदों के ही हैं।
वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी समर्थकों में से राजीव सिंह को महामंत्री बनाया गया है।
कमलनाथ के अध्यक्ष बनने के बाद विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान पदों की काफी बंदरबाट हुई थी जिससे आज की स्थिति संगठन में कितने महासचिव, उपाध्यक्ष, सचिव और प्रवक्ता हैं, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है।
कई ऐसे पदाधिकारी भी हैं जिनके पास दो से लेकर चार पद तक हैं। यही नहीं पीसीसी अध्यक्ष बनने हुए पौने चार साल हो जाने के बाद आज तक कमलनाथ ने कार्यकारिणी की बैठक नहीं बुलाई है।
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