मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के विधायक जीतू पटवारी ने सोमवार 7 मार्च को बजट सत्र शुरू होने से पहले टृविट के माध्यम से राज्यपाल मंगुभाई पटेल के अभिभाषण का बहिष्कार कर दिया।
जीतू पटवारी ने लिखा, बेलगाम नौकरशाही! किसान भी हुआ शोषित! घर-घर पहुंची सस्ती शराब! - सबसे ज्यादा गौहत्याएं मप्र में! जन-जन को बना दिया कर्जदार! @chouhanshivraj जी, जन/प्रदेशहित में मैं राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार कर रहा हूं! क्योंकि, चिर निंद्रा में सोई #भाजपा सरकार को जगाना जरूरी है!
जीतू पटवारी का यह ट्विट जैसे ही वायरल हुआ राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। जीतू पटवारी सदन के भीतर ही नहीं गए।
सदन में जैसे ही राज्यपाल का अभी भाषण समाप्त हुआ संसदीय कार्य मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने इस विषय को उठाया। उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा यह राज्यपाल का विरोध है या फिर संवैधानिक व्यवस्था का?
आखिर उन्हें राज्यपाल के अभिभाषण का पता कैसे चला? यह तो गोपनीय होता है या फिर उन्होंने बिना पढ़े ही इसका विरोध कर दिया। दोनों स्थिति में प्रतिपक्ष को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
श्री मिश्रा ने यह भी कहा कि क्या अब मोबाइल के माध्यम से सदन की कार्यवाही आदि का विरोध बहिष्कार करने की परंपरा शुरू की जा रही है?
इसका जवाब देते हुए नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि विधानसभा की परंपरा को बनाए रखना चाहिए। हम सब इसके भागीदार हैं।
मुझे एक घंटे पहले ही उस ट्वीट के बारे में जानकारी मिली। यह हमारी पार्टी का फैसला नहीं था। मैं इससे सहमत नहीं हूं और न ही आगे रहूंगा। यह मर्यादा के विपरीत है।
इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ का आभार जताते हुए कहा कि जितनी सहजता से उन्होंने इसे स्वीकार किया और अपना विरोध जताया, वह सराहनीय है।
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि मेरा मानना है कि संसदीय परंपरा खंडित नहीं होना चाहिए। यह देखना चाहिए कि अभिभाषण का विरोध कौन से अंश का किया गया या फिर बिना पढ़े ही कर दिया, यह चिंता का विषय है।
इस बीच कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा कि अगर अभिभाषण लीक हुआ है तो फिर बात तो यह भी की जानी चाहिए कि अखबार बजट आने से पहले बजट कैसे दे देते हैं। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अखबार अनुमान के आधार पर बजट देते हैं। इसमें सरकार का कोई रोल नहीं होता। सरकार अपनी जिम्मेदारी समझती है।
बहरहाल यह तो सदन की बहस का सिर्फ एक नजारा था। जीतू पटवारी द्वारा शुरू किए गए इस बवाल का अंत कैसे होगा यह कुछ समय में पता चल जाएगा।
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