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विचार मध्यप्रदेश का आरोप,सरकार की लापरवाही से लाखों किसान फसल बीमा से वंचित

राज्य            Mar 29, 2017


मल्हार मीडिया।
लगातार पाँच वर्षों से कृषि कर्मण अवार्ड जीतने वाले मध्यप्रदेश में सरकार की लापरवाही के कारण प्रदेश के लाखों किसानों को प्राकृतिक आपदा में बर्बाद फसलों के बदले मिलने वाली बीमा राशि से वंचित रहना पड़ा है। जिससे पता चलता है कि कृषि को लाभ का धंधा बनाने की बात करने वाली सरकार, किसानों के प्रति कितनी असंवेदनशील है और किसान हित की बाते केवल भाषणों तक सीमित है। मध्यप्रदेश सरकार पर यह आरोप नियंत्रक महालेखा परीक्षक की ताजा रिपोर्ट के आधार पर विचार मध्यप्रदेश की किसान इकाई किसान विचार की बैठक के बाद विनायक परिहार नरसिंहपुर, विक्रांत राय रायसेन, केदार शिरोही हरदा, शंकारलाल पालीवाल होशंगाबाद, सदन आर्य बैतूल तथा भारत तिवारी सागर ने लगाए है।

विनायक परिहार ने बताया कि सीएजी के वर्ष 2011 से वर्ष 2016 की अवधि के किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के अनुपालन लेखापरीक्षण मे यह उजागर हुआ है की पिछले अनेक वर्षों से प्रदेश के हजारों किसानों को फसल बीमा योजना मे कृषि विभाग की लापरवाही के चलते करोड़ों रूपये का नुकसान झेलना पड़ा है, बीमा राशि नहीं मिलने के कारण किसान समय पर ऋण अदायगी नहीं कर पाया और पूरे प्रदेश मे सैकड़ों किसानों को आत्महत्या के लिए बाध्य होना पड़ा ।

क्या है सीएजी की प्रमुख आपत्तियाँ
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष खरीफ 2011से खरीफ 2015 के बीच सरकार द्वरा फसलवार अधिसूचित क्षेत्र के लिए अधिसूचना जारी करने की निर्धारित अंतिम दिनांक से 32 से 244 दिनों तक का विलंब हुआ जिसके कारण नमूना जांच किए गए 120 पटवारी हल्कों के 47,460 किसानों को प्राकृतिक आपदा मे भरी क्षति के बाद भी बीमा कवरेज से वंचित रहना पड़ा ।

फसल बीमा योजना के प्रावधानों के अनुसार किसी भी एक विशेष फसल का एक पटवारी हल्के मे बुवाई क्षेत्र 100 हेक्टर से अधिक होने पर फसल बीमा के लिए अधिसूचित किया जाना चाहिए लेकिन सीएजी ने जांच मे पाया की खरीफ 2013 से रबी 2014-15 की अवधि मे 2.49 लाख हेक्टर बुवाई क्षेत्र के 1059 पटवारी हल्कों को अधिसूचित नहीं किया गया जिनका बुवाई क्षेत्र 100 हेक्टर से 1238 हेक्टर था । सीएजी के अनुसार उक्त अवधि मे नमूना जांच किए गए पांचों जिलों होशंगाबाद, झाबुआ, कटनी, रायसेन, और टिकमगढ़ मे अधिसूचित फसलों की भरी क्षति हुई लेकिन 1059 पटवारी हल्कों को अधिसूचित नहीं किए जाने के कारण हजारों किसानों को बिना कारण फसल बीमा योजना के अपने हक की राशि से वंचित रहना पड़ा ।

लेखा परीक्षक के अनुसार खरीफ 2013 से रवि 2014-15 के दोरान नमूना जांच पाँच जिलों होशंगाबाद, झाबुआ, कटनी, रायसेन, और टिकमगढ़ मे 200 पटवारी हल्कों को अधिसूचित किया गया था जिसने बुवाई क्षेत्र 100 हेक्टर से कम था और इस प्रकार अपात्र पटवारी हल्कों को नियमविरुद्ध फसल बीमा का लाभ दिया गया ।

सीएजी रिपोर्ट आगे कहती है की खरीफ 2011 से खरोफ 2014 के दोरान शासन द्वरा बीमा कंपनी को 5128 पटवारी हल्कों के उपज आंकड़े नहीं भेजे गए तथा 1574 पटवारी हल्कों के अधूरे उपज आंकड़े भेजे गए जिसके लिए किसानों ने रु॰ 311.26 करोड़ के बीमा कवरेज की राशि जमा की थी, लेकिन बीमा कंपनी को उपज आंकड़े नहीं भेजने के परिमाण स्वरूप 6702 पटवारी हल्कों के किसानों को योजना के ताहित मिलने वाले सकड़ों करोड़ के लाभ नहीं मिल पाया।

सीएजी ने यह बताया की खरीफ 2013 से खरीफ 2015 के बीच टिकमगढ़ और छत्तरपुर जिलों में उड़द का बुवाई क्षेत्र, कुल बुवाई क्षेत्र का 27.15 % से 40.80 % रहा था। लेकिन राज्य सरकार ने राष्ट्रीय फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा के लिए उड़द, मूंग, और मसूर को अधिसूचित नहीं क्या जिसके कारण सूखाग्रस्त टिकमगढ़ और छत्तरपुर के हजारों किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा ।

सीएजी के अनुसार रबी 2010 से खरीफ 2015 के दौरान बीमा दावों के निराकरन मे एक माह से लेकर दो वर्षों का विलंब हुआ है जिसके कारण किसान समय पर ऋण अदायगी नहीं काय पाये। विनायक परिहार के अनुसार फसल बीमा योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, खरीफ और रवि के लिए उपज डाटा की प्राप्ति के लिए निर्धारित दिनांक क्रमश: जनवरी और जुलाई है लेकिन बीमा दावों के भुगतान के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है । सहकारी बैंक खरीफ के लिए 15 मार्च और रबी के लिए 15 जून तक कोई ब्याज नहीं लेती है लेकिन निर्धारित समय पर किसान ऋण नहीं चुकता तो बैंक वाणिज्यिक दर से ब्याज वसूलते है । और विलंब के कारण अगले फसल चक्र मे ऋण लेने अपात्र हो जाते है ।

विनायक परिहार ने बताया की बैंकों द्वरा भी फसक बीमा योजना के क्रियान्वयन मे अनेक स्तरों पर लापरवाही बरती गई जिस के कारण किसानों को भरी नुकसान सहना पड़ा । सीएजी ने बैंकों की लापरवाही पर अनेक आपत्तियाँ करी है जैसे –

खरीफ 2013 से रबी 2014-15 के बीच बैतूल, कटनी, राजगढ़ जिलों मे वित्तीय संस्थाओं ने अधिसूचित क्षेत्र के लिए अधिसूचित फसलों के लिए प्रीमियम नहीं घटाया जिसके करम सकीड़ों किसानों को योजना के लाभ से वंचित रहना पड़ा ।

खरीफ 2014 के दौरान बैतूल, कटनी, व राजगढ़ जिलों मे बैंकों ने प्रीमियम राशि किसानों से काटी, लेकिन बीमा कंपनी को नहीं भेजी, जिसके कारण 771 पात्र ऋणी किसानों को योजना के लाभ से वंचित रहना पड़ा । इसी प्रकार पीएनबी गंजबसोदा, विदिशा के 492 किसानों से रबी 2012-13 के लिए 11.86 लाख की राशि का प्रोमियम काटा लेकिन समय पर बीमा कंपनी को नहीं भेज पाये जिसके कारण आपदा मे नुकसान के बाद भी पात्र ऋणी 492 किसानों को बीमा का लाभ नहीं मिल पाया ।

रबी 2012-13 से खरीफ 2014 के बीच नमूना जांच मे राजगढ़ और शाजापुर के 140 किसानों को पात्रता के बाद भी लाभ नहीं मिल पाया क्योकि वित्तीय संस्थाओं ने गलत पटवारी हल्के दर्ज कर दिये थे।

विनायक परिहार के अनुसार बीमा योजना मे भ्रष्ट्राचार की आशंका भी हो सकती है क्योकि सीएजी के अनुसार वर्ष 2013 मे 42 जिलों के 3362 पटवारी हल्कों मे 22.62 लाख हेक्टर बीमा क्षेत्र था लेकिन राजस्व अभिलेखों मे अधिसूचित फसलों मे मात्र 13.58 लाख हेक्टर क्षेत्र दर्ज था। इस प्रकार 9.05 लाख हेक्टर बिना बोया क्षेत्र राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के अंतर्गत कवर किया गया था और प्रीमियम राशि बीमा कंपनी को भेजी गई थी।

प्रदेश सरकार ने अक्तूबर 2010 मे सभी जिलों मे जिला स्तरीय परिवीक्षाण समिति गठीत करने आदेश दिये थे इस समिति का अध्यक्ष जिला मजिस्ट्रेट को बनाया गाय था। लेकिन किसी भी जिले मे इसका गठन नहीं किया गाय जिसके कारण फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन एवं निगरानी ठीक से किसान हित मे नहीं हो पाया ।

 

 

 



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