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विपक्ष की गैरमौजूदगी में बहुमत से NP प्रजापति बने विधानसभा अध्यक्ष

राज्य            Jan 08, 2019


मल्हार मीडिया भोपाल।
आज मध्यप्रदेश विधानसभा में अध्यक्ष पद के लिए नर्मदा प्रसाद प्रजापति का चुनाव विपक्ष की अनुपस्थिति में संपन्न कराया गया। जिसमें प्रजापति को बहुमत के आधार पर अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस चुनाव में पक्ष में 120 और विपक्ष में 2 वोट पड़े।

इससे पहले कांग्रेस की तरफ से चुनाव के लिए प्रजापति का नाम प्रस्तावित किया गया। मगर भाजपा ने चुनाव में प्रोटेम स्पीकर के रवैए से नाराज होकर अध्यक्ष के चुनाव का ही बहिष्कार कर दिया।

विपक्ष ने इसे संसदीय इतिहास का काला दिन बताते हुए विधानसभा से राजभवन तक पैदल मार्च किया।

भाजपा विधायकों ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपकर कहा कि प्रोटेम स्पीकर ने विधानसभा अध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया का पालन ठीक ढंग से नहीं किया और विपक्ष की आपत्ति को भी नहीं सुना गया। भाजपा ने राज्यपाल से मांग की कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव दोबारा कराया जाए और इसके लिए राज्यपाल के एक प्रतिनिधि को पर्यवेक्षक के रूप में भेजा जाए।

भाजपा ने कहा कि मंगलवार की दैनिक कार्यसूची में अध्यक्ष निर्वाचन को लेकर प्रोटेम स्पीकर द्वारा एक ही उम्मीदवार के चार प्रस्ताव पढ़े गए। पांचवां प्रस्ताव नहीं पढ़ा गया, जबकि कार्यसूची में यह प्रस्ताव शामिल था। निर्वाचन प्रक्रिया को पांचवां प्रस्ताव पढ़े बिना ही आगे बढ़ा दिया गया। इससे लोकतंत्र की हत्या हुई है। हमारी आपत्ति को सुना ही नहीं गया है।

विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में प्रोटेम स्पीकर के रवैए से नाराज होकर भारतीय जनता पार्टी ने स्पीकर के चुनाव का ही बहिष्कार कर दिया। विपक्ष ने इसे संसदीय इतिहास का काला दिन बताते हुए विधानसभा से राजभवन तक पैदल मार्च किया।

भाजपा विधायकों ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपकर कहा कि प्रोटेम स्पीकर ने विधानसभा अध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया का पालन ठीक ढंग से नहीं किया और विपक्ष की आपत्ति को भी नहीं सुना गया। भाजपा ने राज्यपाल से मांग की कि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव दोबारा कराया जाए और इसके लिए राज्यपाल के एक प्रतिनिधि को पर्यवेक्षक के रूप में भेजा जाए।

भाजपा ने कहा कि मंगलवार की दैनिक कार्यसूची में अध्यक्ष निर्वाचन को लेकर प्रोटेम स्पीकर द्वारा एक ही उम्मीदवार के चार प्रस्ताव पढ़े गए। पांचवां प्रस्ताव नहीं पढ़ा गया, जबकि कार्यसूची में यह प्रस्ताव शामिल था। निर्वाचन प्रक्रिया को पांचवां प्रस्ताव पढ़े बिना ही आगे बढ़ा दिया गया। इससे लोकतंत्र की हत्या हुई है। हमारी आपत्ति को सुना ही नहीं गया है।

बहिर्गमन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमने विधानसभा का भारी मन से बहिष्कार किया है। परंपरा से इतर एक ऐसे सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया, जो मनचाहे निर्णय ले सके। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार विजय शाह का नाम प्रस्तावित नहीं करने दिया। यह लोकतंत्र का काला दिन है। संविधान की धज्जियां उड़ाई गई हैं।

राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि राज्यपाल से हमने फिर से चुनाव कराने की मांग की है। मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। हम अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया को लेकर कोर्ट जाने पर भी विचार कर रहे हैं। नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया के नियम को अपने हिसाब से पढ़ा गया। कांग्रेस के पास बहुमत नहीं था, इसलिए उसने यह नीति अपनाई।

भाजपा विधायकों ने अध्यक्ष के चुनाव के साथ-साथ राज्यपाल के अभिभाषण का भी बहिष्कार किया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस के अलोकतांत्रिक रवैए के विरोध में राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार किया है। बुधवार से भाजपा विधायक सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेंगे।

 


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