मल्हार मीडिया।
मध्यप्रदेश विधानसभा में 1 मार्च को प्रस्तुत होने जा रहे बजट से पहले मंगलवार को आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 72,599 रुपए हो गई है, इसी के साथ विकास दर 12.21 फीसदी रही। विधानसभा में पेश होने वाले बजट से प्रदेश में सरकारी कर्मचारी और किसान उम्मीद लगाए हैं।
सरकार भले ही मध्यप्रदेश को तेजी से विकसित होने वाले राज्यों की श्रेणी में शुमार करती हो, पर हकीकत ये है कि प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की रफ्तार इतनी सुस्त है कि पिछले दो साल में मप्र में प्रति व्यक्ति आय 4877 रुपए बढ़कर 56 हजार 516 तक पहुंची है, जबकि राष्ट्रीय औसत एक लाख रुपए ऊपर है। इधर पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में इसी दौरान यह दोगुनी बढ़ी।
यह खुलासा सांख्यिकी मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें वर्ष 2012 से 15 तक प्रति व्यक्ति आय में हुई बढ़ोत्तरी को लेकर देशभर के राज्यों की जानकारी दी गई है। मप्र में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 44 फीसदी पीछे है। पिछले तीन सालों के आंकड़ें देखें तो राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने में भी करीब दस साल और लग जाएंगे, जबकि छत्तीसगढ़ पांच सालों से कम समय में इसे पूरा कर लेगा। वर्तमान में 13 राज्य ऐसे है जहां प्रति व्यक्ति औसत आय एक लाख रुपए से भी ज्यादा है।
पिछले दो सालों में जिन राज्यों में प्रति व्यक्ति आय सबसे कम बढ़ोतरी हुई उनमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। देखा जाए तो औसतन अन्य राज्यों में जहां यह आय दस से 12 हजार रुपए बढ़ी, वहीं मप्र में पांच हजार रुपए का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई। हालांकि इतनी कम बढ़ोतरी के बाद भी बिहार और उत्तरप्रदेश से मप्र आगे ही रहा है।
वर्ष 2015 में प्रति व्यक्ति आय के मामले में गोवा सबसे आगे है, जहां यह 2 लाख 74 हजार 939 है। इसके बाद दिल्ली का नंबर है जहां यह 2 लाख 52 हजार 011 रुपए है। तीसरे नंबर पर चंड़ीगढ़ है जहां प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 25 हजार 369 है।
प्रति व्यक्ति आय वह पैमाना है जिसके जरिए यह पता चलता है कि किसी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति की कमाई कितनी है। इससे किसी शहर, क्षेत्र या देश में रहने वाले लोगों के रहन-सहन का स्तर और जीवन की गुणवत्ता का पता चलता है। देश की आमदनी में कुल आबादी को भाग देकर प्रति व्यक्ति आय निकाली जाती है।
अर्थशास्त्री आरएस तिवारी के अनुसार प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय नहीं बढ़ने के पीछे तीन मुख्य वजह है। प्रदेश कृषि पर निर्भर है, उद्योग चौपट है। औद्योगिक विकास आज भी नहीं है, जिसकी मुख्य वजह है कि उद्योगों के लिए अधोसंरचना आज भी वैसी नहीं है जिसकी मांग है। प्रदेश मुख्यत: कृषि आधारित है, लेकिन वो उद्योग में नहीं आता। दूसरा हमारे यहां एजुकेशन का स्तर काफी गिरा हुआ है जिसके चलते काबिल व्यक्तियों की कमी रहती है जिसके चलते कंपनियां यहां नहीं आना चाहती। इंफ्रास्ट्रचर के मामले में भी दूसरे राज्यों ने जिस रफ्तार से आगे बढ़े है उसमें भी हम पीछे है। हालांकि तुलनात्मक रूप से मप्र में प्रति व्यक्ति आय उतनी ज्यादा नहीं बढ़ी लेकिन देखा जाए तो धीरे-धीरे यह बढ़ रही है। कृषि की आमदनी से जितनी आमदनी बढ़ती है उतनी ग्रोथ रेट बढ़ती है।
पिछले तीन सालों में प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय
वर्ष------- आय
2012-13-------44,931
2013-14-------51,639
2014-15 -------56,516
(आंकड़े सांख्यिकी मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार)
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