राजेश शर्मा।
बात यहाँ से चालू करता हूँ कि आदमी कष्ट में हो तो डाक्टर ही नहीं ओझा-जानियों तक भी चला जाता है और जहाँ से ठीक होता है वहाँ का ढिंढौरा पीटे बगैर नहीं रहता। जहाँ का इलाज नहीं लगता वहाँ हकीम-डाक्टरों को पीट कर उल्टा उनका इलाज करने लगता है।
मध्यप्रदेश के सीहोर जिला स्थित अस्पताल में भी बुधवार को यही हुआ। भाजपा के वरिष्ठ नेता जब अप्राकृतिक कृत्य के शिकार छात्र का मेडिकल नहीं करा पाये तो शब्दों से डाक्टर का ही मेडिकल करने पर आमादा हो गए। डाक्टर को जूते मारने,घसीटने और अस्पताल से बाहर फैकने की बातें आजकल के ढि्डोरची पत्रकारों ने पलक झपकते इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर चला दी। फिर क्या था एेसा लगा जैसे डा.यूसी जैन वाली पिक्चर सालों बाद वापस सीहोर टाकीज मे अपडेट कर लगा दी गई हो। अस्पताल-कोतवाली मे राजनीति का जैसे अखाड़ा सज गया,दाँवपैच सब तरफ से लग रहे थे। कुछ सामने से तो कुछ पिछवाड़े से जोर आजमाईश कर रहे थे। डाक्टरों मे भी घुस्सा स्पष्ट दिखाई दे रहा था और गुस्से का इज़हार होना स्वभाविक भी था क्योंकि सरेआम डाक्टरों की आबरू से जुड़ा मामला जो था।
अब उस छात्र की आबरु की बात कर लें जिसे पहले आरोपी ने और बाद में डाक्टर ने तार—तार किया।आरोपी की खैरखबर तो पुलिस लेगी लेकिन डाक्टरों ने उसके साँथ क्या अच्छा सलूक कर लिया जिसको लेकर उन्हें नवाजा़ जाए।
एक घिनौने कृत्य के शिकार छात्र का यदि समय पर मेडिकल हो जाता तो डाक्टर का क्या बिगड़ जाता बल्कि वो ठुंठ ही नहीं खड़ा होता जिस पर बुधवार को अस्पताल मे उल्लू बैठा। दरअसल नेता सत्ता के, तो डाक्टर घमंड के नशे मे चूर थे। दोनों नशे का काकटेल हुआ तो मर्यादा का चकनाचूर होना भी लाज़मी था।
आनन-फानन में सिविल सर्जन चले तो पद से इस्तीफे की बात कर बैठे। सोचने वाली बात यह है कि डाक्टर साहब इस्तीफा किस मर्ज़ की दवा है और सालों से राजनीति करने वाले ने आपा खोया तो क्यों? बात यह भी विचारणीय है। मत करो काल रिसीव लेकिन मेडिकल तो करो।
और आखिर में यह भी बताने में आता है कि टीचर जिंदगी बनाता है और डाक्टर जिंदगी बचाता है और जब वो इस काम से मुकरता है तो जो हुआ, कहीं उससे अधिक बुरा हश्र पाता है। और हाँ डाक्टर की कोई जात नहीं होती उसे अाज भी डाक्टर के रुप मे ईश्वर का पार्षद समझा जाता है।
रही बात कानून की तो उसे सही तरीक़े से पूरा-पूरा लागु कर दिया जाए तो आदमी चलने-फिरने तक से मोहताज हो जाएगा ।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं यह आलेख उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है।
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