राकेश दुबे।
विधानसभा चुनाव की घोषणा का इंतजार कर रहे मध्यप्रदेश में एक और नये राजनीतिक दल का उदय हो गया है। सपाक्स समाज पार्टी। प्रदेश के दो प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस भी इन दिनों अपनी रणनीति बनाने और उम्मीदवारों के चयन में व्यस्त हैं।
६ अक्तूबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इंदौर में होंगे तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी पहले मुरैना फिर जबलपुर में रोड शो करेंगे। १४ अक्तूबर को अमित शाह भोपाल भी आयेंगे। सारे दल अपनी-अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं।
कुछ की रणनीति अति विचित्र है, जैसे कांग्रेस को चुनाव की दहलीज पर याद आया है कि उसे भी अब हाईटेक होकर बूथ तक जाना है।
यह भाजपा के बूथ प्रभारी कार्यक्रम का जवाब है। विधानसभा चुनाव की दृष्टि से कांग्रेस का यह कदम देरी से उठा है इससे उसे विधानसभा चुनाव लाभ नहीं मिलता दिखता है।
अगर उसकी यह योजना जिसकी टिकाऊ होने की सम्भावना कम है, चल गई तो उसे आगामी लोकसभा में इसके परिणाम दिखाई दे सकते हैं। मुश्किल तो यह है कि कांग्रेस के सारे गुट किसी मुद्दे पर एक नहीं होते।
जैसे राहुल गाँधी अपनी मुरैना यात्रा के दौरान एकता परिषद के लोगों से मिलेंगे जो भूमि सुधार कानून को लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं। पहले कमलनाथ इस भेंट के खिलाफ थे अब ज्योतिरादित्य सिंधिया इसके पक्ष में नहीं हैं।
कांग्रेस अब हाईटेक भी हो रही है। प्रदेश के ६५००० बूथों तक जुड़ने के लिए उसने शक्ति नामक एप तैयार किया है। अभी यह एप पूरी तरह लाँच नहीं हुआ और इसका विरोध शुरू हो गया।
बमुश्किल कांग्रेस अभी ५०० बूथों तक पहुंची दिल्ली दरबार में शिकायत हो गई और दिल्ली से विशेषज्ञ आ धमके। एप नीचे तक कैसे पहुंचे इसकी जुगत शुरू हुई दिल्ली के विशेषज्ञ एक दिन में सवा लाख लोगों को जोड़ने का दावा कर रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इसे हवाई फायर का नाम दे रहे हैं।
एक वरिष्ठ नेता की राय है कि इसका हश्र कांग्रेस द्वारा पहले जारी फेसबुक और ट्विटर निर्देश की तरह होगा। ६५००० बूथ तक जाना कोई आसान बात नहीं है।
राहुल गाँधी द्वारा पिछले दिनों की गई अपील से इतर कांग्रेस के सारे गुट एक दूसरे से प्रतिद्न्दी भाव से काम में लगे हुए हैं।
बसपा द्वारा प्रदेश में सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने की बात से जहाँ कांग्रेस में चिंता का माहौल है। वहीं सपाक्स समाज पार्टी ने सत्तारूढ़ भाजपा के लिए चुनौती खड़ी करने की कोशिश की है।
विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद समीकरण एक बार फिर बदलेंगे। प्रदेश में चेहरा विहीन कांग्रेस का हाईटेक होना कितना लाभ देगा, यह समय के गर्भ में है।
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