मल्हार मीडिया ब्यूरो उमरिया।
मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के निजी विद्यालय स्वराज पब्लिक स्कूल के बारहवीं के छात्रों के साथ स्कूल प्रबंधन धोखा किया है। छात्रों नियमित छात्र के रूप में प्रवेश दिया गया लेकिन अब परीक्षा के प्रवेश पत्र बच्चों को स्वाध्यायी के मिले हैं। स्कूल की इस धोखाध़ी से 30 छात्रों का भविष्य लटका अधर में नाराज छात्रों सहित अभिवावकों ने थाने में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई है। कलेक्टर ने उक्त मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
उमरिया जिला मुख्यालय में संचालित स्वराज पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की बारहवीं की मान्यता न मिलने से वहां अध्ययनरत 30 छात्र–छात्राएं परीक्षा के पूर्व ही नियमित से स्वाध्यायी हो गए इस बात से नाराज छात्रों और अभिवावकों ने थाने में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई है। छात्र शशांक प्रताप सिंह ने बताया कि हम लोगों को बिना बताये स्वाध्यायी के रूप में दूसरे स्कूल से परिक्षा फ़ार्म भर दिया गया, जब हमने स्कूल प्रबंधन से पूंछा तो स्कूल प्रबंधन ने कोई जबाब नहीं दिया और कह रहे हैं कि हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, जबकि नियमित छात्र के रूप में एडमीशन दिया था अब हम लोग डिप्रेशन में आ गए हैं हम लोगों के लिए बड़ी बात हो गई है अब पढाई में ध्यान भी नहीं लग पा रहा है। वहीं छात्रा शना परवीन का कहना है कि जब हम लोग फोन लगते थे तो फोन नहीं उठाते थे हम लोगों को शिक्षक नजर अंदाज कर रहे हैं अब हम लोग थाने आये हैं देखते हैं यहाँ क्या होगा। हमारी आगे की पढ़ाई में बहुत दिक्कत जायेगी हमने पूरी फीस भरी है। कई तरह की फीस ली जाती थी, खेल, लैब वगैरह सब की फीस ली जाती थी और लैब भी नहीं है खेल भी नहीं होता था, प्रेक्टिकल नहीं कराये जाते हैं, अलग–अलग तरह की फीस लेते थे पूरी तरह की धोका – धडी हमारे साथ हुई है जैसे आँखों पर पट्टी बाँध कर रख दिया गया है।
बच्चों के अभिभावक राजेश प्रताप सिंह का कहना है कि जब हम स्वराज पब्लिक स्कूल के प्राचार्य से मिलने गए तो उन्होंने कहा कि हमारे पास सब चीज की मान्यता है। फिर हम जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में गये और जानकारी मांगी तो वहां के बाबू ने कहा कि इनकी कक्षा 12 की मान्यता नहीं है। मात्र कक्षा 10 तक की मान्यता है। जबकि हमने अपने बच्चों का प्रवेश बारहवीं स्टेंडर्ड में करवाया था जब हमारे बच्चों ने वेबसाईट में देखा तो इस स्कूल का कहीं भी पता नहीं था।
जब स्वाध्यायी की वेबसाईट देखी तो उसमें 30 छात्रों का नाम दिखा। 27000 रुपये फीस भी ली गई और कहा गया कि यह पूरी फीस है अब किसी तरह की फीस नहीं लगेगी और अभी तक रसीद भी नहीं दिया गया है हम चाहते हैं कि इन बच्चों को नियमित किया जाय और जिले में जो भी ऐसी फर्जी संस्थाएं चल रही हैं उस पर भी कार्यवाही हो जबकि हम लोग अपने बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए गाँव से यहाँ आकर किराये का कमरा लेकर रह रहे हैं इस संस्था पर कानूनी कार्यवाही की जाय।
छात्रों की शिकायत के आधार पर कोतवाली थाने की पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू कर दी है टी आई हेमंत विष्णु बर्वे का कहना है कि स्वराज पब्लिक स्कूल के बच्चे शिकायत करने आये हैं उनसे शिकायत लेकर जांच कर रहे हैं और जांच में जो भी होगा अगर गलत मिला तो उनके ऊपर 420 का प्रकारद दर्ज कर कार्यवाही किया जाएगा। वहीं इस मामले में जिले के कलेक्टर अभिषेक सिंह का कहना है कि हमने जिला शिक्षा अधिकारी को जांच करने के लिए कह दिया है और इस सम्बन्ध में हम शासन से भी बात करेंगे कि बच्चों को स्वाध्यायी से नियमित किया जा सकता है, बच्चों को कुछ राहत मिल सकती है फिलहाल जिला शिक्षा अधिकारी को जांच करने के लिए कहा गया है।
वहीं इस मामले में जब स्वराज पब्लिक स्कूल के संचालक अरविंद बंसल से बात किया गया तो अपनी अलग दलील दिए कि ये बच्चों का भ्रम है हमको 2015 – 2016 में ग्यारहवीं की और 2016 – 17 में बारहवीं की मान्यता लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा दी गई थी उसी आधार पर हम स्कूल संचालित कर रहे थे लेकिन अंतिम समय तक पोर्टल नहीं खुला बच्चे आन लाइन नहीं हो पाये जिसके कारण बच्चों का स्वाध्यायी फार्म भरना पड़ा
गौरतलब है की अब शिक्षण संस्थाएं, शिक्षा उद्योग का रूप ले चुकी हैं और इस उद्योग में बच्चों के भविष्य से किसी को कोई लेना देना नहीं है, यदि दीखता है तो मात्र रुपया, और ऐसे में कहाँ तक बच्चों का भविष्य बनेगा यह तो विचार योग्य है।
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