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विचार मध्यप्रदेश ने बताया नर्मदा संबंधी घोषणाओं का सच

राज्य            May 24, 2017


मल्हार मीडिया भोपाल।
सरकार पर नर्मदा में अवैध उत्खनन को लेकर लगातार दवाब बढ़ रहा है। इस कारण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आनन फानन में कुछ घोषणाएं कीं उनके बारे में विचार मध्यप्रदेश के अपने विचार हैं। विचार मध्यप्रदेश के विनायक परिहार, आज़ाद सिंह डबास और अक्षय हुंका ने संयुक्त प्रेस नोट जारी कर इन घोषणाओं का सच जनता के सामने रखा।

(1) सभी नदियों में रेत खनन में मशीनों से उत्खनन बंद किया जाएगा।
(2) नर्मदा में रेत खनन को अस्थायी रूप से पूर्णतः बंद किया जाएगा।
(3) नर्मदा में खनन कहाँ किया जा सकता है इसके लिए IIT खड़गपुर के एक्सपर्ट्स की एक टीम गठित की जायेगी।

इन तीन घोषणाओं से सरकार ने जन दबाव कम करने और वाहवाही लूटने की भरपूर कोशिश की। हालांकि इन घोषणाओं के अध्धयन से पता चला कि माँ नर्मदा के नाम पर शिवराज सरकार ने पुनः लोगों को ठगने की कोशिश की है। सभी घोषणाएं औचित्यहीन हैं और चारों तरफ से बढ़ रहे दवाब को हटाने का असफल प्रयास है।


पहली घोषणा: सभी नदियों में रेत खनन में मशीनों से उत्खनन बंद किया जाएगा।
इस घोषणा के सन्दर्भ में खनिज संसाधन विभाग द्वारा सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश भी जारी कर दिए गए। वास्तविकता यह है कि EIA के नियमों के अनुसार मशीनों द्वारा रेत खनन कई वर्षों से प्रतिबंधित हैं। यहाँ तक की SEIAA द्वारा दी जाने वाली लीज परमिशन में स्पष्ट तौर पर लिखा होता है कि "The mining shall be done manually" इसके बाद भी मशीनों से माइनिंग धड़ल्ले से चल रही है। सरकार ने इस प्रकार का आदेश निकाल कर एक तरह से आज से पहले मशीनों द्वारा की जाने वाली माइनिंग को वैध कर दिया है। इस प्रकार का औचित्यहीन आर्डर निकालने की जगह जिन स्थानों पर लोग मशीनों से माइनिंग कर रहे हैं उनकी लीज निरस्त की जानी चाहिए।


दूसरी घोषणा: नर्मदा में खनन पूर्णतः बंद किया जाएगा।
सच्चाई यह है कि यह केवल एक घोषणा मात्र है। इस घोषणा के लिए कोई आदेश सरकार द्वारा जारी ही नहीं किया गया है। EIA के नियमों के अनुसार 15 जून से 1 अक्टूबर तक सभी नदियों से रेत खनन प्रतिबंधित होता है। इस अवधि से चंद दिन पहले इस प्रकार की घोषणा बताती है कि सरकार नदियों के संरक्षण के लिए चिंतित नहीं है बल्कि केवल जन दवाब कम करना चाहती है। यदि नर्मदा में खनन को रोका ही जाना था तो यह घोषणा नर्मदा सेवा यात्रा प्रारम्भ होने के पहले की जानी चाहिए थी।

तीसरी घोषणा: नर्मदा में खनन योग्य जगह ढूढ़ने के लिए IIT खड़गपुर के विशेषज्ञों की टीम का गठन

सरकार घोषणा करते समय संभवतः भूल गयी कि एक सरकारी संस्था (SEIAA) पहले से उपलब्ध है जिसका काम ही यह है कि रेत खनन की लीज कहाँ दी जा सकती है और कहाँ नहीं। क्या सरकार का अपनी ही संस्थाओं से भरोसा उठ गया है?

ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार जहाँ जहाँ रेत खनन कराना चाहती है और SEIAA से परमिशन में दिक्कत हो रही है वहां इस समिति के माध्यम से परमिशन ले ली जायेगी।

कुल मिलाकर सरकार द्वारा जनता के दवाब को कम करने के लिए कल एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से ढेरों झूठ बोले गए और जनता को भ्रमित करने का असफल प्रयास किया गया। जनता अब शिवराज सरकार की सच्चाई जान चुकी है।

ज्ञात हो कि नर्मदा सेवा यात्रा का सच जानने के लिए विचार मध्यप्रदेश द्वारा नर्मदा यात्रा का सोशल ऑडिट किया जा रहा है जिसकी विस्तृत रिपोर्ट 5 जून को सभी के समक्ष रखी जायेगी।

विचार मध्यप्रदेश शिवराज सरकार से मांग करता है कि कोरी घोषणाओं और भ्रमित करने वाली जानकारियों के स्थान पर सरकार नदियों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाये और अवैध उत्खनन माफियाओं के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करे।

 


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