उप्र की क्या कहें मप्र के बुंदेलखंड में ही 17 माह में हुये 599 बलात्कार

वामा            Aug 03, 2016


छतरपुर से धीरज चतुर्वेदी। उत्तरप्रदेश में बलात्कार की घटनाओं को लेकर हंगामा मचा हुआ है। पडोसी मध्यप्रदेश के बुंदेलखड इलाके के पांच जिलो में भी कमोवेश यही हालात हैं। जनवरी 2015 से मई 2016 के बीच 17 माह में यहां 599 बलात्कार की घटनायें दर्ज हुईं। जबकि महिलाओं के साथ छेडखानी के 1590 अपराध पंजीबद्ध हुये जो शर्मसार कर देने वाले है। चैकाने वाले आंकडे है कि इस वर्ष के पांच माह में महिलाओं पर विभिन्न तरीको से अत्याचार के 2274 मामले पुलिस थानो तक पंहुचे हैं। महिलाओं की सुरक्षा के तमाम दावे किये जाते रहे हो पर हकीकत रोगटे खडे कर देने वाली है। उत्तरप्रदेश इन दिनों बलात्कार के मामलो को लेकर राजनैतिक रूप से भी झुलस रहा है। यह सच है कि राजनीति के आरोप प्रत्यारोप किसी किसी भी प्रदेश में सत्ता की दलीय स्थिति के आधार पर बदलते रहते हैं। मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड इलाका भी महिला अत्याचार के मामले में कम नहीं हैं। उत्तप्रदेश से सटे बुंदेलखंड के सागर संभाग के इन पांच जिलो में वर्ष 2015 की बात की जाये तो छतरपुर, पन्ना, सागर, दमोह व टीकमगढ में बलात्कार, छेडखानी, अपहरण के 2678 अपराध दर्ज हुये थे। सबसे अधिक छेडखानी की घटनाये घटित हुई जिसके तहत 1119 अपराध पंजीबद्ध हुये। सामूहिक बलात्कार के 29 और बलात्कार के 419 मामले इन पांच जिलो में दर्ज हुये। महिलाओं के अपहरण और बलात्कार के अपराध की संख्या 206 रही जो दर्शाती है कि दावों के बीच महिलाये कितनी सुरक्षित है। अनुसूचित जनजाति की महिलाओं पर भी अत्याचार का रिकार्ड कम नही है। एक वर्ष में 68 महिलाये बलात्कार का शिकार हुई और 116 महिलाओ के साथ छेडखानी की घटनाये घटित हुई। अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के मामले में भी उनकी जनसंख्या के आधार पर आंकलन किया जाये तो अत्याचार में कम नहीं रही। इस वर्ग की 24 महिलायें बलात्कार और 28 छेडखानी का शिकार हुई। पुलिस नाबालिग लडकियो के प्रति कितनी गंभीर है यह तथ्य भी आंकडे उजागर करते है। बलात्कार के मामलों में दमोह, पन्ना और सागर पुलिस ने पास्को एक्ट के तहत किसी भी आरोपी पर मामला दर्ज नहीं किया। इसी तरह छेड़खानी यानि शीलभंग के आरोप में पन्ना और सागर जिले की पुलिस ने बाल संरक्षण कानून का उपयोग करना उचित नही समझा। इस वर्ष के पांच माह अर्थात 152 दिनो में 2274 अपराध महिला के खिलाफ अपराध के दर्ज हुये है। जो हकीकत में महिलाओ के प्रति गंभीरता बरतने को नौंटकी निरूपित करते हैं। पांच जिलो में इन पांच माहों में बलात्कार के 151, छेडखानी के 471 एंव अपहरण के 267 अपराध दर्ज हो चुके हैं। इनमें बलात्कार के सागर में 66, दमोह में 16, छतरपुर में 30, पन्ना में 14 एंव टीकमगढ में 25 मामले दर्ज हुये। छेड़खानी की घटनाओं को तो अब शायद पुलिस महकमा आम मानने लगा है, जिस पर अंकुश लगाने में नाकाम होने के आंकडे है। सागर में इन पांच माह में 193, दमोह में 78, टीकमगढ में 94, छतरपुर में 81 और पन्ना जिले में मात्र 25 अपराध पुलिस रेाजनामचे में दर्ज हुये। नगरीय और शहरी ईलाकेा में स्कूली व कालेज की छात्राओ से छेडखानी की घटनाये आमतोर पर घटित होती दिखाई दे जाती है। जो पुलिस थानो तक शिकायते नही पंहुच जाती, जो छेड़खानी के मामले गंभीर रूप ले लेते है वे ही पुलिस की शरण में पंहुचते हैं। आंकड़े दर्शाते हैं कि मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में भी महिला सुरक्षा के दावे खोखले नजर आ रहे हैं। अब महिलाओं के प्रति राजनैतिक प्रतिबद्धता का नाटक चाहे जिस राज्य होता रहे।


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