श्रीश पांडे।
बेजा पर रई गर्मी में पनवाड़ी गमछा बांध्ो पान की दुकान में बैठे चिंतन कर रये हते कि का हुइए आसौं... काय से जब अप्रैल में जा दशा है गरमी की, तो कैसे कटहें अबकि मई जून के मईना। कउं पानी नईंया। मोड़ा-मोड़ी के ब्याव होने सो, कैसे होने? इत्ते में दिखा परे प्यारे सो पनवाड़ी ने उने टेरो कि इते आओ कां खां भगत जा रये तुम। प्यारे बोले, बिलात काम पड़े घर के पनवाड़ी... सो सब्जी भाजी पौंचा के वे निपटा लें नई तो दिन चढ़ो कि दुबकने पड़हे भीतरें। सई कई प्यारे तुमने, लेकिन जे तो बताओ कब लो चलने ऐसो। खाबे खां अनाज नई भओ, पीबे खां पानी नईं बचो, सो ऐसे में कैसे बचने जिंदगी बिश्ोषकर गरीबन की।
प्यारे ने सई कई पनवाड़ी, लेकिन पानी के नाए मोदी सरकार खां दोष तो दै नई सकत। काय से पानी सरकार तो बना नई सकत, लेकिन प्यारे, किते हिरात जा रओ पानी कि...दे सूखा पे सूखा औ कबउं है कि बाढ़ पे बाढ़। अब पानी, पानी नई रओ। प्यारे ने पनवाड़ी खां प्यार से समझाओ कि जब से धरती बनी पानी जित्तो हतो, उत्तो अब्बई है। काय स्कूल में माटसाब ने पढ़ाओ हतो कि दो अणु हाइड्रोजन के और एक अणु ऑक्सीजन के मिलके पानी बनत और माटसाब ने जो भी समझाओ हतो कि पानी की तीन ठइया अवस्थाएं होतीं। चौथी नई हो सकत।
पानी या तो द्रव रैहे या ठोस यानि बरफ या फिन भाप (बादल)। येई से पानी तो उत्तई है जित्तो धरती बनी तब हतो। बस फरक पड़ो इके संतुलन में। द्रव ज्यादा बढ़ो सो बै-बै के समुद्र में जा मिलो। अब समुद्रन को स्तर बढ़ रओ सो कैऊ द्बीप जो समुद्र कि किनारे हैं, डूबबे बारे हैं। पैलां पानी रुकत हतो पेड़न से, पहाड़ हरे भरे रहत ते और पहाड़ पूरे साल रसीले.. जिनसे पानी रिसत हतो और नदियां बहत हतीं पूरे साल, जानवर खां चारा हतो। सो खेती खतम करबे बे हमला नई करत ते।
पनवाड़ी ने प्यारे की बात बीच में काटत भई कई कि जे बताओ प्यारे कि जे 'लानीना’ और 'अलनीनो’ का बला है। काय से मौसम विज्ञानी कै रये कि आसौं जून से पेल के पानी गिरने। 'अलनीनो’ निपट गओ और ऊकी मौसी 'लानीना’ आ गई सो ऐन पानी गिरने। जे दोऊ बैने किते से आती-जातीं। इनके स्वभाव इतने विपरीत काय से हैं। प्यारे ने कई कि पनवाड़ी तुम पड़े लिख्ो तो हो नईंया तऊ खूब कई। तुमे का समझाइए दोनों बैनन के बारे में...ऐसो समझ लो कि जे दोनों प्रशांत महासागर में गर्म समुद्री जल धाराएं(जल देवी)हैं जब लो 'अलनीनो’ को प्रभाव रहत तो सूखो पड़त और जब 'लानीना’ को तो ऐन पानी गिरत। हालांकि दोऊ को संबंध पानी के गिरबे और न गिरबे से है।
पनवाड़ी कैन लगे तो फिन देश में बहन 'लानीना’ के मंदिर बनो चाइए, उनकी पूजा अर्चना सोउ होन चाइए। अब लो सब सोचत रये कि इंद्र देवता पानी के मालिक जालिक हैं, लेकिन विज्ञानियन ने बताओ कि असल मालकिन तो 'लानीना’ देवी हैं। आखिर दुनिया की सबरी ताकतें स्त्रियन लो हतीं। बुद्धि चाने हो तो सरस्वती, पैइसा चाने तो लक्ष्मी जी, शक्ति चाने तो दुर्गा जी के एंगर जाओ और अब ई बात से पर्दा उठ गओ कि पानी के देवता मर्द इंद्र नई, देवी 'लानीना’ हैं। प्यारे, पनवाड़ी से बोले तुम समझे तो बोत महीन हो...ऐई बात पे पान खबाओ किमाम डार कें और 'लानीना’ देवी को मंदिर बनबाओ...!!
लेखक जनसंदेश समाचार पत्र के मुख्य उपसंपादक हैं।
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