... लौट आओ गौरैया

वीथिका            Mar 20, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो आपको याद होगा कि अपने बचपन में जब आप सुबह उठते थे तो गौरैया की चहचहाहट आपके कानों को सुकून देती थी। मगर अब यह आवाज हमें कम सुनाई पड़ती है। मानो यह चिड़िया हमसे रूठकर दूर चली गई हो। हमने अपने रहने के लिए बेहतर घर तो बना लिए मगर गौरैया का ठिकाना उससे छीन लिया। हम इस खूबसूरत चिड़िया को उसके रहने लायक माहौल देकर फिर से अपने घरों में वापस बुला सकते हैं। साकेत महाविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफ़ेसर कहते हैं कि 20 मार्च को गौरैया दिवस पर इस चिड़िया को याद करने से ही काम नहीं चलेगा। हमें कोशिश करनी होगी कि यह चिड़िया हमारे घर वापस लौट आए। इसके लिए हमें अपने घरों में गौरैया के लिए जगह बनानी होगी। उनका कहना है की यह गौरैया का ब्रीडिंग सीजन है। इस समय यह अपने लिए घोसलों की तलाश करती है। लोगों को चाहिए कि वे अपने घरों में घास के घोसले बनाएं। छत पर किसी बाउल में भरकर पानी रखें। अमिता ने बताया कि गौरैया को खाने में काकून बहुत पसंद है। इसके अलावा उसे बाजरा, सूखी रोटी और चावल डाले जा सकते हैं। यह चिड़िया झाड़ वाले पेड़ों में रहना पसंद करती है। इसलिए अपने आंगन में इस तरह के पौधों को जगह दें। गौरैया के बच्चों को प्रोटीन युक्त भोजन की जरूरत होती है। इसलिए यह कीड़े-मकौड़ों पर निर्भर रहते हैं। इसलिए कोशिश करें कि अपने लॉन में थोड़ी घास वाली जगह छोड़ दें।


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