अमन आकाश।
हम बिहारियों में अंग्रेज़ी सीखने की चाहत बचपन से ही होती है। हमारे किताबों के संग्रह में नीले रंग के कवर वाला Oxford English Grammar और Oxford Translation मिल ही जाएगा।
हमें बचपन से ही अंग्रेज़ी बोलना नहीं, हिंदी से अंग्रेज़ी में ट्रांसलेट करना सिखाया जाता है और यह समस्या हमारे साथ जीवन भर लगी रहती है।
हम "राम खाना खा रहा है" बोलने से पहले मन में वाक्य दुहराते हैं।
उसको Sub+is/are/am+V ing+ Object पर वेरीफाई करते हैं और जब तक बोलते हैं तब तक "राम खाना खा चुका होता है" और खाने का बिल हमको पे करने के लिए बोल रहा होता है। भुक्खड़ कहीं का..!
फिर हम थोड़े एडवांस होते हैं। अब मामला आगे बढ़ता है। चुका है/चुकी है/चुके हैं वाला चैप्टर। यहाँ भी वही भुक्खड़पंती। राम आम खा चुका है।
एक तो मुझे ये आजतक समझ नहीं आया कि ये भाई राम या तो आम खा रहा होता है, खा चुका होता है या खाएगा। भाई राम, आपको लीची पसन्द नहीं क्या?
आप कभी मोमो नहीं खाते? कोई राम को लिट्टी-चोखा तो खिलाओ भाई और प्रिय राम, ये दिसम्बर के महीने में आपको आम मिल कहाँ से जा रहा है..!
और इन ट्रांसलेशन वालों का जेंडर डिस्क्रिमिनेशन तो देखिए। राधा गाना गाएगी, क्यों बे तुमने पूछा राधा से..? वो गाना ही क्यों गाएगी..! कहीं उसका मन काचा बादाम पर रील्स बनाने का हो तो..!
हुंह, तुम बड़े आए तय करने वाले कि राधा गाना गाएगी। खामखा गालियां सुनोगे राधा से।
लेकिन जो बात है बिहार के स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमे को आइना दिखाने वाला ट्रांसलेशन "डॉक्टर के आने से पहले रोगी मर चुका था" और "पुलिस के आने से पहले चोर भाग चुका था" इतिहास में दर्ज होना चाहिए।
यह जितना सत्य मेरे पांचवीं क्लास में था, आज पीएचडी करते वक़्त भी उसी दावेदारी के साथ मौजूद है।
वक़्त बदला, हालात बदले, सरकारें बदलीं लेकिन रोगी मरते ही रहे, चोर भागते ही रहे। ना तो डॉक्टर वक़्त पर पहुंच पाया, ना पुलिस।
हालांकि कुछ तो बदलाव हुआ है। ट्रान्सलेशन विभाग को इस बारे में विचार करना चाहिए। थोड़ा अपडेट होना चाहिए। "डॉक्टर के आने से रोगी लुट चुका है" और "पुलिस के आने से पब्लिक कुट चुकी है।"
यहां तक तो फिर भी बात ठीक थी, ट्रांसलेशन की दुनिया में हमारा गुजर बसर हो रहा था। फिर एक दिन आया Voice।
कोरोना वायरस की तरह, क्या हुड़क मची है Active को Passive में बदलने की ! क्या मिल जा रहा है उससे! अबे चीन चमगादड़ खा चुका है या चीन के द्वारा चमगादड़ खाया जा चुका है? अब क्या फर्क पड़ेगा इससे? तुम वैक्सीन बनाओ? मास्क पहनो? सोशल डिस्टेंस मेंटेन करो?
और सबसे पहले तो डॉक्टर को पीपीई किट उपलब्ध करवाओ। नहीं तो जिस अनुपात में डॉक्टर इन्फेक्टेड हो रहे हैं, डॉक्टर के आने के बाद ज्यादा रोगी मरेंगे.. लाहौल विला कुव्वत. अब गूगल इसको ट्रांसलेट करेगा और हमसे कहेगा Rate this Translation... भूतनी का..
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