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वन्य जीवन, एनिमल प्लेनेट और डिस्कवरी !

वीथिका            Dec 17, 2024


डॉ.प्रकाश हिन्दुस्तानी।

जब भी एनिमल प्लेनेट या डिस्कवरी जैसे चैनल पर वन्य जीव-जंतुओं को देखता हूं; तब बब्बर शेर, तेंदुए और बाघ की हिंसक छवियों को देखकर विचलित हो जाता हूं।

प्रकृति की अन्य रचनाओं की तरह ये भी सुंदर होते हैं लेकिन तीनों ही प्राणी बड़े ही हिंसक तरीके से शिकार करते हैं।

ये अपने शिकार का गला दबाते हैं जिससे उसका दम घुट जाता है और खून बहने से शिकार हुआ प्राणी तड़प तड़प कर मर जाता है। प्रकृति ने इन्हें इतनी ताकत दी है कि ये अपने पंजों से किसी भी साधारण प्राणी की पीठ की हड्डियां तोड़ सकते हैं। ये अपने से दोगुने से ज्यादा वजन उठाकर ले जा सकते हैं।

ये हमेशा छिपकर हमला करते हैं। पहले झाड़ियों या घास में छुप जाते हैं फिर अचानक अपने शिकार पर पीछे से टूट पड़ते है। इनके खूंखार नुकीले दांत और पंजे इनके खास औजार होते हैं। ये आमतौर पर रात को शिकार करना पसंद करते है। छिपने की काबिलियत और चुपचाप हमला करने की ताकत ही उनकी असली ताकत है।

ये तेज दौड़ सकते हैं, बहुत ऊंची और लंबी छलांग लगा सकते हैं । ये शिकार पर अचानक हमला करते हैं। इनके मजबूत पंजे किसी भी जानवर की रीढ़ की हड्डी तोड़ सकते हैं।

ये बहुत कुशल तैराक भी होते हैं और पानी में भी शिकार कर सकते हैं। ये पहले बहुत शांत रहते हैं फिर अचानक तेज गति से अपने शिकार पर हमला करते हैं। इनकी निगाहें रात को भी देख सकती हैं। सूंघने की शक्ति बहुत ही अद्भुत होती है। ये बहुत ही धीरज के साथ अपने शिकार को मारते पहले उसकी गर्दन पर हमला करते हैं। खून बहने और सांस रुकने से शिकार बेदम हो जाता है।

ये आम तौर पर शाकाहारी और शांत जीवों को मारते हैं, हिरण, बारहसिंगा, चीतल आदि, लेकिन जंगली हाथियों, गैंडों, जंगली सूअरों और मगरमच्छों से 'आमतौर पर' बैर नहीं लेते क्योंकि वहां खुद के शिकार होने का खतरा होता है। अचरज है कि मानव जाति फिर भी इन्हें बहादुर कहती है। 'शेर दा पुत्तर' और 'टाइगर' सम्मानजनक विशेषण माने जाते हैं।

जंगलों में देखने, सुनने और महसूस करने के लिए हजारों चीजें हैं लेकिन फिर भी पर्यटकों को देखना होता है टाइगर, लॉयन या पैंथर! मार्केटिंग भी इसी बात की होती है।

मुझे तो जंगल के ज़्यादातर जीव भयाक्रांत नज़र आते हैं! हिरण पानी पीते समय भी नज़र इस तेजी से घुमाता रहता है कि कहीं उस पर हमला न हो जाए! चिड़ियों की चहचहाहट को ध्यान से सुनें तो समझ आता है कि वे गा रही हैं या भूख से अपनी व्याकुलता बता रहीं हैं, जीवन की भीख मांग रही हैं या साथियों को आगाह कर रही हैं!

मुझे किसी भी तरह की हिंसा पसंद नहीं। तस्वीरों में भी नहीं। मालूम है कि शिकार करना कुछ जानवरों की मजबूरी है। इन्हें देखना मेरी मजबूरी नहीं है।

 

 


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